कुपोषण दूर करने पहले की तरह खोली जाएगी आंगनवाड़ियां

देश के बच्चे अगली पीढ़ी हैं और इसलिए जब तक बच्चों और महिलाओं को पौष्टिक भोजन नहीं मिलेगा, देश की अगली पीढ़ी प्रभावित होगी।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) देश में कुपोषण (Malnutrition) को दूर करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि देश के बच्चे अगली पीढ़ी हैं और इसलिए जब तक बच्चों और महिलाओं को पौष्टिक भोजन नहीं मिलेगा, देश की अगली पीढ़ी प्रभावित होगी। सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश यह सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की अनुसूची में दिए गए पोषण मानकों को गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और कुपोषण से पीड़ित बच्चों को पोषण संबंधी सहायता देकर पूरा किया जाए। शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। याचिका में देशभर के आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद किए जाने पर सवाल उठाया गया है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि बच्चे देश का भविष्य हैं। अगर उन्हें पर्याप्त पोषण नहीं दिया गया तो, देश भविष्य में उनकी क्षमता का लाभ लेने से वंचित हो जाएगा।

याचिकाकर्ता दीपिका जगतराम सहानी ने केंद्र और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देश के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोलने और लॉकडाउन से पहले की तरह आंगनवाड़ी सेवाओं को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा 4 से 7 के अनुसार चलाए जाने की मांग की है।

31 पृष्ठों के फैसले में शीर्ष स्तर पर कहा गया है कि “जब तक आंगनवाड़ी केंद्रों के नहीं खुलने का कोई विशेष कारण नहीं है, तब तक सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आंगनवाड़ी केंद्रों को बहाल किया जाना चाहिए।” पीठ ने कहा कि सभी राज्यों को स्थिति की समीक्षा की जाए और 31 जनवरी को या इससे पहले इस संबंध में सकारात्मक निर्णय लिया जाए।

बता दें, मध्यप्रदेश में कोरोना के कारण कुपोषण बीते साल की तुलना में दस प्रतिशत तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह एक कुपोषण के मामले में प्रदेश दस साल पुरानी स्थिति में पहुंच जाएगा।

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