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उपचुनाव नतीजे: भाजपा के भरोसे पर खरा उतरते सिंधिया के खास समर्थक

भाजपा की जीत में सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत की रही बड़ी भूमिका

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश की एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे से भाजपा उत्साहित है वहीं कांग्रेस मायूस। उपचुनाव में मिली जीत को भाजपा के मैनेजमेंट की जीत माना जा रहा है। साथ ही इस जीत ने यह भी साफ कर दिया है कि भाजपा के भरोसे पर अब सिंधिया के प्रबल समर्थक मंत्री भी खरा उतरने लगे हैं।

प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो खास समर्थकों तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को भाजपा ने उपचुनाव में जो जिम्मेदारी दी थी उस पर दोनों ही मंत्री पूरी तरह खरे उतरे हैं। तुलसी सिलावट को खंडवा लोकसभा सीट पर तो गोविंद राजपूत जोबट विधानसभा सीट पर सक्रिय थे।

खंडवा लोकसभा सीट के लिए अंतर्गत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से भाजपा ने तुलसी सिलावट को नेपानगर की जिम्मेदारी सौंपी थी। भाजपा को इन आठ सीटों में से छह में बढ़त हासिल हुई है। सबसे बड़ी बढ़त भाजपा को नेपानगर सीट पर ही मिली जहां सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट प्रभारी थे।

बड़ी बात यह है कि नेपानगर में उपचुनाव से पहले कई क्षेत्रों से मतदान के बहिष्कार किए जाने की खबरें आने लगी थीं लेकिन लोगों की यह नाराजगी मतदान में दिखाई नहीं दी। यहां भाजपा को करीब 35 हजार वोटों की बढ़त मिली। यह बढ़त इसलिए भी अहम है क्योंकि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर करीब 1200 मतों से हार का सामना करना पड़ा था।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक अन्य खास समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का जोबट विधानसभा सीट पर मिली जीत में अहम योगदान माना जा रहा है। यहाँ कांग्रेस से भाजपा में आकर जीत दर्ज करने वाली सुलोचना रावत और उनके बेट विशाल रावत के दलबदल में भी गोविंद सिंह राजपूत की भूमिका मानी जाती है।

यही नहीं गोविंद राजपूत जोबट विधानसभा में करीब एक महीना डेरा डाले रहे। यहां गांव और कस्बों में सघन जनसंपर्क कर गोविंद राजपूत ने भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया। उदयगढ मंडल में राजपूत ने मतदाताओं को लुभाने के लिए पारंपरिक खाटला बैठकें की। यहां तक कि चुनाव प्रचार थमने के बाद भी गोविन्द राजपूत पर यहाँ रुकने के आरोप में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला भी दर्ज किया गया।

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