पवनहंस को औने-पौने दाम में बेचना, मज़बूरी-मजाक या बड़ा घोटाला?

हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवनहंस के विनिमेश में कई झोल, कांग्रेस ने सरकार की नीति नियत पर उठाए सवाल।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवनहंस लिमिटेड (Pawan Hans Limited) में सरकार द्वारा अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दिये जाने के फैसले पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हेलीकॉप्टर उड़ान का अनुभव रखने वाली कंपनी को महज छह महीने पुरानी स्टार9 मोबलिटी कंपनी को औने-पौने दामों में सौंपे जाने में कई झोल दिखाई दे रहे हैं। जिसके चलते पवनहंस के विनिमेश में केंद्र सरकार की नीति और नियत संदेह के दायरे में आ गई है।

बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि जो पवनहंस 1992 से लाभ अर्जित कर रही थी और 2014-15 तक जिस कंपनी ने सरकार को 223.69 करोड़ रुपए का लाभांश दिया हो उसे बेचे जाने की आखिर क्या मज़बूरी है? वह भी तब जबकि साल 2017 में संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति क्षेत्र की स्थायी समिति ने भी पवनहंस के विनिमेश पर सवाल उठाये थे।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि समिति यह समझने में असफल है कि मुनाफा कमाने वाली कंपनी पवनहंस का रणनीतिक तौर पर विनिवेश क्यों किया जा रहा है?

कांग्रेस ने भी इस डील पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि जब 51 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य करीब 200 करोड़ रुपये तय था तो इसके बाद भी दो बोलीकर्ताओं ने 181.05 करोड़ रुपये एवं 153.15 करोड़ रुपये की बोली कैसे लगाई।

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने तो यहाँ तक कहा है कि साल 2017-18 तक पवनहंस 350-400 करोड़ का प्रॉफिट कमा रही थी, लेकिन अब ऐसी आशंका है कि किसी साजिश के तहत कंपनी को घाटे में ले जाया गया। यह घाटा क्यों आया, इसकी जांच की जरूरत है।

सरकार को पवनहंस में अपनी 51% हिस्सेदारी बेचने से 500 करोड़ मिलने की उम्मीद थी, मगर वह भी पूरी नहीं हुई और सरकार को बेस प्राइस 200 करोड़ से महज 11 करोड़ ज्यादा ही हासिल हो सके। वहीं पवनहंस की नई मालिक स्टार9 मोबलिटी कंपनी के पास अपना खुद का एक भी हेलीकॉप्टर तक नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टार9 मोबलिटी कंपनी के एसोसिएट बताए जा रहे महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के पास कुल जमा 3 हेलीकॉप्टर हैं। कंपनी के दूसरे एसोसिएट बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड का लीज रेंट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में केस चल रहा है वहीं तीसरे एसोसिएट अल्मास ग्लोबस आपरच्युनिटी फंड एसपीसी का भी इस बिजनेस से कोई सीधा संबंध नहीं बताया जा रहा है।

इस तरह दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हेलीकॉप्टर उड़ान का अनुभव रखने वाली कंपनी को केवल छह महीने पहले रजिस्टर्ड स्टार9 मोबलिटी को सौपना मज़ाक जैसा भी दिख रहा है।

गौरतलब है कि 1985 में स्थापित पवनहंस हेलीकॉप्टर सेवा क्षेत्र का सबसे भरोसेमंद ब्रांड माना जाता है। इसके पास 43 हेलीकॉप्टर का बेड़ा है जो दुर्गम इलाकों में खोज और बचाव के कामों का लंबा अनुभव रखता है। केदारनाथ और अमरनाथ गुफा दर्शन में भी पवनहंस का बड़ा योगदान देता है। उड़ान योजना के तहत छोटे शहरों में हेली-पोर्ट भी पवन हंस के ही अधिपत्य में आते हैं और इनमें से कई उड़ानों का लाइसेंस भी पवनहंस के पास ही है।

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