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बापू पर PM मोदी की बात सही या BJP नेताओं के जहरीले बोल?

PM मोदी कह रहे बापू की शिक्षा और आदर्शों को लोकप्रिय बनाने की बात वहीं लगातार बढ़ते जा रहे भाजपा नेताओं के ओछे बयान।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई अन्य नेताओं ने राजघाट जाकर बापू की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने ट्वीट के साथ ही अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी बापू का स्मरण किया। सवाल यह है महात्मा गांधी के आदर्शों को लेकर पीएम मोदी की बात को सच माना जाए या उनकी पार्टी के ही नेताओं को जो महात्मा गांधी को लेकर जहर उगलते हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ट्वीट करते हुए कहा कि बापू के आदर्श विचारों को जन-जन तक पहुंचाना हमारा सामूहिक दायित्व है। पीएम मोदी ने अपने अपने रेडियो कार्यक्रम में भी कहा कि आज का दिन बापू की शिक्षा को याद करने का दिन है-

एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बापू की शिक्षा और आदर्शों को लोकप्रिय बनाने की बात कह रहे हैं वहीं इसके विपरीत भाजपा नेताओं के ही महात्मा गांधी को लेकर ओछे बयान लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का ट्वीट भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने राष्ट्रपिता के लिए फर्जी शब्द का इस्तेमाल किया था। विवाद को देखते हुए मंत्री मोहन यादव ने ट्वीट डिलीट कर दिया था।

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1486979177089990658?s=20&t=xTetfFwZ6svTlGEWgqw1Fw

ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं जब संवैधानिक पदों पर बैठे भाजपा नेताओं ने ही महात्मा गांधी को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया हो। उत्तरप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित ने तो महात्मा गांधी के कम कपड़ों की तुलना अभिनेत्री राखी सावंत तक से कर दी थी। वहीं भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी सार्वजनिक रूप से महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन कर चुकी हैं। महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर नाथूराम गोडसे के महिमामंडन का तो ट्रेंड ही बन चुका है।

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सवाल यह है कि क्या यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में नहीं है कि भाजपा नेता और भाजपा समर्थक संगठन किस तरह महात्मा गांधी के लिए जहर उगल रहे हैं? अगर है तो प्रधानमंत्री ऐसे नेताओं और बयानों पर चुप्पी क्यों साध लेते हैं? क्यों उन भाजपा नेताओं पर कार्रवाई नहीं होती जो लगातार न सिर्फ महात्मा गांधी के नीति और आदर्शों पर सवाल उठाते हैं बल्कि अनर्गल शब्दावली तक का का प्रयोग करते हैं?

निसंदेह बापू के आदर्शों को किसी नेता या सियासी दल के सत्यापन की जरूरत नहीं लेकिन बापू को लेकर प्रधाममंत्री नरेंद्र मोदी की बात और उनकी पार्टी और उसका समर्थन करने वाले संगठनों के नेताओं के बोलों में विरोधाभास जरूर दिखता है। माना जाता है कि यह विरोधाभास गांधी और गांधीवादी विचारधारा को खारिज करने का एक सुनियोजित प्रयास है।

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