गाजीपुर बॉर्डर : ये लड़ाई किसान बनाम सरकार ही रहेगी- राकेश टिकैत

अब तक आंदोलन का केंद्र सिंघु और टिकरी बॉर्डर माना जा रहा था, लेकिन अब गाजीपुर बॉर्डर किसानों के आंदोलन का एक नया केंद्र बनकर उभरा है।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) बीते गुरुवार शाम गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन पूरी तरह बदल गया, राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के भावुक वीडियो ने पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसानों में आक्रोश पैदा कर दिया, रातों रात किसान अपना घर छोड़ बॉर्डर पहुंचने लगे है। अचानक हुए इस बदलाव में ऐसा लगने लगा है जैसे की अब ये लड़ाई कहीं न कहीं एक समुदाय और राज्य सरकार के बीच होने लगी है। हालांकि राकेश टिकैत ने इस बात को नकारा और कहा कि ये लड़ाई किसानों की ही है।

दरअसल 28 जनवरी की सुबह गाजीपुर बॉर्डर पर ऐसा लगने लगा था, जैसे मानों की अब ये आंदोलन ज्यादा नहीं टिकेगा। लेकिन टिकैत की एक भावुक अपील ने पूरी बाजी पलट कर रख दी। अब तक आंदोलन का केंद्र सिंघु और टिकरी बॉर्डर माना जा रहा था, लेकिन अब गाजीपुर बॉर्डर किसानों के आंदोलन का एक नया केंद्र बनकर उभरा है।

मुज़फ्फरनगर में हुई पंचायत की तस्वीरें भी राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) और किसान आंदोलन के बढ़ते समर्थन की ओर इशारा करती हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में राजनीतिक पार्टियों की किसान आंदोलन के मद्देनजर सक्रियता एक अलग संकेत दे रही है।

दरअसल राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) जाट किसान नेता माने जाते हैं और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में जाट किसानों की संख्या भी ज्यादा है। यानी किसी भी पार्टी की हार जीत तय करने में एक बड़ी भूमिका भी है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) से जब पूछा गया कि, “क्या ये लड़ाई अब जाट बनाम राज्य सरकार हो गई है? इस सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने कहा, “नहीं ऐसा नहीं है, आंदोलन में हर वर्ग का किसान है, मैंने इस आंदोलन में पहली बार ये जाट शब्द सुना है, मुझे इसपर ऐतराज है, ये लड़ाई किसान बनाम सरकार ही रहेगी।” हालांकि इसके बाद टिकैत ने उनके आस पास खड़े लोगों को दिखा कर कहा, ‘क्या ये जाट हैं.. ?’ उसी दौरान टिकैत के बगल में बैठे एक किसान ने कहा कि, “मैं पंडित हूं और इस आंदोलन में हर वर्ग के लोग हैं।”

बॉर्डर पर मौजूदा स्थिति की बार करें तो हजारों की संख्या में पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान पहुंचे हुए हैं। अब ट्रैक्टर छोड़, दो पहिया और चार पहिया वाहन से किसानों ने आना शुरू कर दिया है।

दरअसल किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार नये कानूनों में संशोधन करने और एमएसपी पर खरीद जारी रखने का लिखित आश्वासन देने को तैयार है।

केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

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