असम में सत्ताधारी भाजपा वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है लेकिन पार्टी सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त है इस पर संशय है।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोश होश डेस्क) असम विधानसभा के लिए पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होना है। यहां सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है लेकिन पार्टी सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त है इस पर संशय है। इस संशय को पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष रंजीत दास के बयान ने और गहरा दिया है।
दरअसल हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर असम में सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग को लेकर अहम बैठक थी। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास, अगप के अध्यक्ष व राज्य सरकार के मंत्री अतुल बोरा, यूपीपीएल के प्रमुख प्रमोद बोरो, भाजपा नेता व मंत्री हेमंत विश्व सरमा भी मौजूद थे।
बैठक के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास से जब ये सवाल किया गया कि क्या सर्वानंद सोनोवाल फिर भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे? इस सवाल पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी जहां सत्ता में होती है वहां अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं करती। उन्होंने आगे कहा कि ‘जहां हम सत्ता में नहीं होते हैं वहां पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करती है।
देश के कई बड़े मीडिया संस्थानों ने रंजीत दास का यह बयान प्रकाशित किया है लेकिन अगर असम और कर्नाटक के बीते विधानसभा चुनावों को छोड़ दिया जाये तो ये बयान विरोधाभासी ही साबित होता है।
पार्टी ने सत्ता में रहते मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लड़ा था। इन सभी राज्यों में भाजपा ने अपने मौजूदा मुख्यमंत्रियों पर ही दांव खेला था। वहीं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पार्टी ने सत्ता से बाहर रहकर ही विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन किसी भी राज्य में भाजपा ने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया था।
अब पश्चिम बंगाल में भी हो रहे विधानसभा चुनाव में भी पार्टी सत्ता से बाहर है और यहां भी पार्टी ने किसी को अब तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं बनाया है। यानी असम भाजपा अध्यक्ष रंजीत दास का दावा अर्धसत्य ही कहा जाएगा।
दूसरी ओर मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक पार्टी चुनाव के बाद सर्वानंद सोनोवाल को हेमंता विस्वा सरमा या किसी अन्य चेहरे से बदल भी सकती है। इस बयान का एक अर्थ यह भी लगाया जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस गठबंधन लगातार मजबूत होता जा रहा है। जिसे लेकर भाजपा भी अब असहज दिखने लगी है। हाल ही में एक ओपीनियन पोल मे भी राज्य में भाजपा की वापसी तो बताई गई थी लेकिन मुकाबला कड़ा बताया गया था।
राज्य में पहले चरण का मतदान 27 मार्च को है। कुल तीन चरणों क बाद दो मई को चुनाव नतीजे आना हैं? देखना यह है कि अगर भाजपा सत्ता में वापिसी करती है तो सर्वानंद सोनोवाल दोबारा मुख्यमंत्री बन पाते हैं या नहीं?