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मन की बात: मध्यप्रदेश की बबीता के हौसले को PM मोदी ने किया सलाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में मध्यप्रदेश की बबीता राजपूत का जिक्र किया।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मध्यप्रदेश की बबीता राजपूत (Babita Rajpoot) का जिक्र किया। पीएम मोदी ने गांव की सूखी झील को नदी से जोड़कर उसे पुनर्जीवित करने वाली बबीता से सीख लेने की बात कही।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा कि बुंदेलखंड मध्यप्रदेश की एक छोटे से गाँव की एक महिला जिनका नाम बबीता जी है। उन्होंने अपने गाँव में सूखी पड़ी एक झील को गाँव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उसे नहर से जोड़कर पुनः जीवित किया है। हमें उनसे सीख लेनी चाहिये।

बबीता राजपूत मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा क्षेत्र की रहने वाली हैं।अंगरौठा गांव की 19 वर्षीया बबीता ने करीब 200 महिलाओं की अगुआई कर एक पहाड़ी को काट सूखी झील को नदी से जोड़ने का अद्भुत काम किया है। अंगरौठा गांव में कभी पानी का संकट हुआ करता था। यहां एक तरफ पहाड़ है और दूसरी तरफ नदी व एक छोटा सा तालाब भी है। जब नदी का पानी सूख जाता था, तब तालाब से ही लोगों की जरूरत पूरी होती थी। मई-जून आते तक पानी का संकट बढ़ जाता था। यह देख बबीता राजपूत ने हालात बदलने की ठान ली।

बीए की डिग्री कर चुकी बबीता राजपूत ने महिलाओं को पहाड़ी को काटकर नदी और तालाब के पानी का उपयोग करने की अपनी योजना समझाई। सभी महिलाएं इसके लिए तैयार हो गईं। गांव की 200 महिलाओं की मदद से बबीता ने 107 मीटर लंबी खाई खोदकर पहाड़ को काट दिया। इससे गांव के लोग पानी के संकट से मुक्त हो गए। असंभव को संभव कर दिखाने वाली लड़की और मेहनती महिलाओं की गांव ही नहीं, समूचे इलाके के लोगों ने सराहना की।

बबीता की लगन का नतीजा भी अब दिखने लगा है। साल 2020 में अंगरौठा गांव में केवल दो बार बारिश हुई, लेकिन इतनी कम बारिश के बावजूद, 10 कुएं और पांच बोरवेल सूखे नहीं। लगभग 12 एकड़ के खेत में भी पर्याप्त पानी है।

बबीता के मुताबिक, वर्ष 2018 तक यहां पानी का भारी संकट हुआ करता था। सालों से गांव के निवासी पानी के संकट से जूझ रहे थे। जबकि उनके आसपास के क्षेत्र में तालाब था जो सूख जाता था। इसके अलावा थोड़ा सा बारिश का पानी एक पहाड़ी के दूसरी तरफ बह जाता और बछेरी नदी में विलीन हो जाता था।

बबीता ने बारिश के पानी को रोकने और एक रास्ते से तालाब तक पानी लाने की योजना पर काम किया। इसके लिए उसे वन विभाग से अनुमति हासिल करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। सामूहिक प्रयास हुए और पहाड़ी को काट दिया गया। एक रस्ते के जरिए नदी को तालाब से जोड़ दिया गया है।

गांव वाले बताते हैं कि तालाब के खाली हिस्से पर कुछ किसानों ने खेती में करना शुरू कर दिया था, और अपने लाभ के लिए सीमित जल संसाधन का उपयोग कर रहे थे। यदि बारिश का पानी झील में भर जाता, तो वे जमीन खो देते। इसलिए, उन्होंने इस संबंध में किसी भी संभावित विकास का विरोध किया। उसके बावजूद प्रयास किए गए और सफल रहे। बछेड़ी नदी का पानी तालाब तक एक खाई के माध्यम से आया।

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