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उपचुनाव: मतदान ने पकड़ी रफ़्तार, CM शिवराज ने क्यों किया धुंआधार प्रचार?

उपचुनाव के लिए मतदान जारी। तीनों विधानसभा सीटों पर मतदान के लिए लाइनें नजर आ रही हैं लेकिन खंडवा सीट पर मतदान बेहद धीमा है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट के साथ ही जोबट, रैगांव और पथ्वीपुर विधानसभा सीट के लिए मतदान शनिवार सुबह सात बजे प्रारंभ हो गया। तीनों विधानसभा सीटों पर मतदान के लिए लाइनें नजर आ रही हैं। शुरुआती सुस्ती के बाद मतदान ने रफ़्तार पकड़ ली है। वहीं उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के धुंआधार प्रचार के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

खंडवा में मतदान प्रारंभ होते ही दस पोलिंग बूथ पर ईवीएम में खराबी के कारण मतदान प्रभावित रहा। वहीं करीब आधा दर्जन गांव में मतदान के बहिष्कार की भी खबर है। यहां वहीं भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों ने अपना मतदान कर दिया है। उप चुनाव में भाजपा- कांग्रेस के साथ प्रत्याशियों के साथ कुल 52 उम्मीदवार मैदान में हैं। खंडवा और रैगांव में 16-16, पृथ्वीपुर में 11 तो सबसे कम जोबट में 9 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए उपचुनाव के नतीजे काफी अहम बताए जा रहे हैं। यही कारण है कि सीएम शिवराज उपचुनाव में धुंआधार प्रचार करते दिखाई दिए।

अकेले शिवराज ने एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों के लिए एक महीने में ही 100 से ज्यादा कार्यक्रम इन चार सीटों पर किए हैं। इनमें 20 रैलियां और 40 तो छोटी बड़ी सभाएं ही हैं।

माना जा रहा है कि शिवराज चुनाव नतीजों से प्रदेश में अपनी लोकप्रियता और ताकत को साबित करना चाहते हैं। हाल ही में गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड जैसे भाजपा शासित राज्यों में नेतत्व परिवर्तन को देखते हुए यह मध्यप्रदेश में शिवराज मजबूत बने रहना चाहते हैं।

दूसरी बात यह है कि भाजपा इससे पहले पूरी ताकत लगाने के बाद भी दमोह का उपचुनाव हार चुकी है। अगर इन चार सीटों पर अपेक्षित नतीजे नहीं आते तो यह पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जाएगा। वैसे भी पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों के चलते मतदाताओं में नाराजगी है। ऐसे में भाजपा इस नाराजगी को चुनाव नतीजों में देखना नहीं चाहेगी।

प्रचार में भाजपा के लिए सीएम शिवराज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत सभी मंत्री और विधायकों ने ताकत लगाई है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जनसभाएं की हैं। भाजपा का पूरा संगठन लम्बे समय से चुनाव के लिए एक्टिव था। ऐसे में अपेक्षानुरूप परिणाम न आने पर निश्चित ही भाजपा के लिए अंदर और बाहर कई चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी।

वहीं अगर चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में आते हैं तो इसका सीधा संदेश यही जाएगा कि पेट्रोल-डीजल, महंगाई और खाद संकट जैसे मुद्दों के बाद भी जनता का भरोसा भाजपा में बरकरार है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज के नेतृत्व परभी ये नतीजे जनता की मुहर साबित होंगे।

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