क्या मोदी-शाह-योगी के लिए उपलब्धि नहीं हिंदी भाषा-साहित्य का सम्मान?

हिंदी भाषा और साहित्य की उपलब्धि पर पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और योगी आदित्यनाथ का नहीं आया बधाई संदेश।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) हिंदी भाषा और साहित्य के लिए शुक्रवार की सुबह गर्व के पल लेकर आई। हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ के इंग्लिश अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाज़ा गया है। यह हिंदी का पहला उपन्यास है जिसे अंतर्राष्ट्रीय बुकर प्राइज मिला है। वहीं हिंदी भाषा और साहित्य को मिली इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बधाई संदेश न आना हैरान कर रहा है।

यही नहीं हाल ही में राजभाषा हिंदी को देश की एकता का अहम हिस्सा बनाने की पैरोकारी कर चुके गृहमंत्री अमित शाह ने भी गीतांजलि श्री बधाई देने एक ट्वीट करने के जरूरत नही समझी। बड़ी बात यह भी है कि सबसे बड़े हिंदी भाषी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिंदी भाषा और साहित्य के इस सम्मान पर ट्वीट नहीं किया जबकि लेखिका गीतांजलि श्री उत्तरप्रदेश के मैनपुरी से ही संबंधित हैं।

ऐसा भी नहीं कि हिंदी बेल्ट के इन तीन बड़े सियासी चेहरों के ट्विटर अकाउंट से शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक कोई ट्वीट न किया गया हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक अकाउंट से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई साथ ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को उनके जन्मदिन पर बधाई भी दी गई।

दूसरी ओर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आधिकारिक ट्विटर हैडल से इस अवधि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के संबध में ट्वीट को रिट्वीट किया गया। वहीं योगी आदित्यनाथ ने भी दोपहर 12 बजे तक समाजसेविका रमाबाई अंबेडकर को पुण्यतिथि पर नमन किया गया वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को जन्मदिन पर बधाई दी गई।

दूसरी ओर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई दिग्गजों, साहित्यप्रेमियों और पत्रकारों ने गीतांजलि श्री के उपन्यास को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ से नवाज़े जाने को हिंदी भाषा और साहित्य की बड़ी उपलब्धि बताया-

इसके साथ ही गीतांजलि श्री अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। बुकर सम्मान मिलने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा कि मैंने कभी बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी। कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ। ये एक बड़ा पुरस्कार है। मैं हैरान हूं, प्रसन्न हूं, सम्मानित महसूस कर रही हूं और बहुत कृतज्ञ महसूस कर रही हूं। गीतांजली को 50 हजार पाउंड की इनाम राशि मिली, जिसे वो डेजी रॉकवेल के साथ साझा करेंगी।

उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज अंग्रेजी में प्रकाशित मूल या अनूदित कृति को ही दिया जाता है। ‘रेत-समाधि’ हिंदी उपन्यास है, जिसे डेजी रॉकवेल ने अंग्रेजी में अनूदित किया है। इसी अंग्रेजी अनुवाद ‘ टॉम्ब ऑफ सैंड’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज दिया गया है। मूल हिंदी उपन्यास राजकमल प्रकाशन ने 2018 में छापा है। ‘रेत-समाधि’ को बुकर दिए जाने की घोषणा लंदन में की गई। इस अवसर पर गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल मौजूद थे।

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