राहुल गांधी के साथ कमलनाथ की कदमताल से बदला 2023 का सियासी हाल

राहुल गांधी की यात्रा के दौरान कमलनाथ के जोश और जूनून ने कार्यकर्ताओं में नए उत्साह और नई ऊर्जा का संचार कर दिया

भोपाल (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा रविवार शाम मध्यप्रदेश में अपना सफर पूरा कर राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर गई। मध्यप्रदेश में 12 दिन और 6 जिलों में करीब 380 किलोमीटर चली इस यात्रा को लेकर मध्यप्रदेश की सियासत उफान पर है। कहा जाने लगा है कि राहुल गाांधी के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की कदमताल ने 2023 का सियासी हाल बदल दिया है।

मध्यप्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा ने महाराष्ट्र की सीमा से लगे बुरहानपुर से प्रवेश किया और आगर-मालवा से राजस्थान में एंट्री ली। यात्रा की अगवानी के दौरान बुरहानपुर में राष्ट्रीय ध्वज थामने से राजस्थान की सीमा में राष्ट्रीय ध्वज हस्तांतरित करने तक मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ बिना किसी विराम के राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते रहे।

यह कमलनाथ की तल्लीनता और समर्पण ही था कि यात्रा को अपने पहले विशुद्ध हिंदी भाषी राज्य में अपेक्षा से कहीं ज्यादा सफलता मिली। मध्यप्रदेश से पहले यात्रा तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंधप्रदेश और महाराष्ट्र में अपना पड़ाव पूरा कर चुकी थी। यह कहा जा रहा था कि दक्षिण में तो यात्रा सफल हो गई लेकिन हिंदी भाषी राज्यों में यात्रा का सफल होना मुश्किल है लेकिन कमलनाथ के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में यात्रा में उमड़ी भीड़ ने विपक्ष के साथ सभी आलोचकों को जवाब दे दिया। यहाँ तक कि राहुल गांधी ने भी माना कि मध्यप्रदेश में यात्रा राज्यों के लिहाज़ से सबसे सफल रही।

मध्यप्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के लिए कमलनाथ ने नेताओं को कार्यनुसार जिम्मेदारी सौंपी और उसकी गहन मॉनिटरिंग की। यात्रा के मार्गों के निरीक्षण से लेकर सहयात्राओं के संयोजन में कमलनाथ का कुशल नेतृत्व नज़र आया। कमलनाथ ने यह सुनिश्चित किया कि यात्रा में लाखों लोगों की भीड़ व्यवस्थित रहे और सुरक्षित तरीके से आगे बढ़े। लाखों लोगों के आतिथ्य की व्यवसथा के बीच विरोधियों के हर पैंतरे से सतर्क कमलनाथ ने इन 12 दिनों में अपने कुशल प्रबंधन और राजनैतिक कौशल को एक बार फिर से साबित किया है।

इस यात्रा ने कमलनाथ और राहुल गांधी के आपसी संबंधों में खटास की तमाम चर्चाओं पर भी विराम लगा दिया। पूरी यात्रा में कमलनाथ को राहुल गांधी के साथ कदमताल करते देखा गया। दोनों के बीच आपसी समन्वय भी चर्चाओं में रहा। यही नहीं यात्रा के 12 दिन कांग्रेस की प्रदेश इकाई भी कमलनाथ के नेतृत्व में एकजुट दिखी। यात्रा के प्रवेश से पहले यह कहा जा रहा था कि भाजपा राहुल गांधी के प्रदेश में रहने के दौरान ही कांग्रेस के कई विधायकों को तोड़कर कमलनाथ के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़ा कर देगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो सका। जिसका सीधी संदेश यह था कि कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस अब एकजुट है और कमलनाथ प्रदेश में सर्वस्वीकार्य चेहरे के रूप में हैं।

दूसरी ओर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर तो जनता में उत्साह दिखा ही लेकिन यात्रा के साथ कमलनाथ को लेकर भी उत्सकुता देखी गई। राहुल गांधी यात्रा के दौरान जहां-जहां से गुजरे वहां कमलनाथ को लेकर भी जनता में जबर्दस्त क्रेज़ देखा गया। लोग कमलनाथ से मिलने को आतुर दिखाई दिए और कमलनाथ भी लोगों से मिलते और उनकी समस्याओं को सुनते हुए देखे गए और उन समस्याओं के निराकरण के लिए प्रतिबद्ध दिखे।

यही नहीं अपनी उम्र के पड़ाव को पीछे छोड़ते हुए कमलनाथ ने उन तमाम लोगों का भी मुंह बंद कर दिया जो छुपी जुबान से यह कह रहे थे कि कमलनाथ यात्रा में नहीं चलेंगे या कम समय देंगे। कमलनाथ यात्रा में पहले दिन से लेकर आख़री दिन तक मौजूद रहे और तो और कमलनाथ पूरी यात्रा के दौरान अन्य भारत यत्रियों की तरह ही कैम्प के भीतर कंटेनर में ही रुकते और सुबह 4 बजे उठकर यात्रा की शुरुआत से ही राहुल जी के साथ चलने में भी एक बार भी नहीं चूके।

यात्रा के दौरान राहुल गांधी भी कमलनाथ की धर्मप्रेमी छवि को मजबूत करते नजर आए। मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य कहा जा सकता है कि जहां कांग्रेस की छवि हिंदुत्व विरोधी नहीं है। इसका कारण कमलनाथ की अपनी आस्थावान छवि ही है। हनुमानभक्त कमलनाथ ने अपनी 15 महीने की सरकार में ही महाकाल परिसर के विस्तार और विकास के साथ रामवन पथ गमन जैसी कई योजनाओं से जो छवि बनाई थी, राहुल गांधी की यात्रा कमलनाथ सरकार की उस छवि को मजबूत करती नजर आई।

प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने यात्रा के दौरान कई विवादों को हवा भी दी लेकिन यह कहा जा रहा है कि कमलनाथ इसके लिए पहले ही तैयार थे। यही कारण रहा कि कांग्रेस के सोशल मीडिया डिपार्टमेंट ने इन विवादों पर जमकर पलटवार किया। नतीज़ा यह रहा कि न तो खरगोन का वायरल वीडियो यात्रा को प्रभावित कर सका और न ही इंदौर में प्रशासन के दुरुपयोग के बाद भी यात्रा को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन में कमी आई। राहुल गांधी के संघ पर धारधार हमलों का भी खास असर देखा गया।

अगर सियासी दष्टिकोण से देखा जाए तो निमाड़ और मालवा का क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन बीते नगरीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस ने यहां कमलनाथ की बेहतर रणनीति और प्रत्याशी चयन की दम पर कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। अब भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा है उसे देखकर न सिर्फ मालवा निमाड़ बल्कि पूरे राज्य में कांग्रेस नए कलेवर में नज़र आ रही है। यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा के दौरान कमलनाथ के जोश और जूनून ने कार्यकर्ताओं में नए उत्साह और नई ऊर्जा का संचार कर दिया है।

सियासी गलियारों में यह चर्चा पहले ही थी कि कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए कमलनाथ को फ्री हेंड दे दिया है। अब यात्रा के मध्यप्रदेश में समापन मौके पर राहुल गांधी ने भी यह खुला संकेत दे दिया है कि प्रदेश में कमलनाथ ही कांग्रेस का चेहरा हैं। देखना यह है कि राहुल गांधी और कमलनाथ की कदमताल 2023 में कांग्रेस के लिए कितनी निर्णायक होती है, फिलहाल तो यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने इस यात्रा से राज्य में बड़ी बढ़त हासिल जरूर कर ली है।

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