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पेगासस किसने ख़रीदा? अनुमति किसने दी? किन के खिलाफ हुआ इस्तेमाल?

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के तीखे सवाल, PM मोदी से माँगा जवाब

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पेगासस जासूसी को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया है। उन्होंने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने बीते संसद सत्र में पेगासस का मुद्दा उठाया था, हमें लगा कि यह लोकतंत्र की जड़ो पर हमला है। हमने संसद ठप की। सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से हमारी बात पर मुहर लगाई है।

राहुल गांधी ने कहा कि इस मामले में हम सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का हम स्वागत करते हैं। बात राजनीति की नहीं है। ये देश के लोकतांत्रिक ढाँचे पर, जनता पर व आज़ादी पर हमला है। ये हमला करने का निर्देश सिर्फ़ दो ही लोग दे सकते हैं और जब सच सामने आएगा उनके पास कोई जवाब नहीं होगा। हम आज भी अपने सवालों पर कायम हैं। प्रधानमंत्री पूरे देश को बताएं कि पेगासस किसने ख़रीदा? अनुमति किसने दी ? किन लोगों के खिलाफ हुआ इस्तेमाल ? और क्या पेगासस का डाटा किसी और देश के पास भी था या सिर्फ़ सरकार के पास ही है?

पेगासस के इस्तेमाल को गैर कानूनी बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह प्रधानमंत्री या फिर गृह मंत्री की अनुमति के बिना नहीं हुआ होगा। प्रधानमंत्री ने अगर ऐसा किया है तो देश को बताना चाहिए कि जासूसी क्यों की गई ? पेगासस का इस्तेमाल गैरकानूनी है और प्रधानमंत्री कानून से ऊपर नहीं है।

क्या PM को जा रहा था डाटा

राहुल गाँधी ने सवाल उठाया कि क्या विपक्ष के नेताओं, जजों, चुनाव आयुक्त के फोन का जो डाटा आ रहा था वो प्रधानमंत्री को जा रहा था? और क्या पेगासस का इस्तेमाल लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए किया गया?

संसद में हो बहस

पेगासस इस्तेमाल को देश पर हमला बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हम संसद में इस मुद्दे को फिर उठाएंगे जिससे इस पर बहस हो। हालांकि बीजेपी को यह अच्छा नहीं लगेगा लेकिन हम ये करेंगे। अगर प्रधानमंत्री ने किसी देश के साथ मिल पर अपने ही देश पर अटैक किया है तो हम चाहेंगे कि पीएम भी अपनी बात रखें।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पेगासस मामले की जाँच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता में बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी में 3 सदस्य होंगे। जस्टिस आर वी रवींद्रन के अलावा आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय कमेटी में अन्य सदस्य होंगे।

इनके अलावा तीन तकनीकी सदस्य भी कमेटी के हिस्सा होंगे। कमेटी पेगासस से जुड़े आरोपों की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट में 8 हफ्ते बाद फिर मामले की सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसआईटी गठित किए जाने को सरकार के लिए झटका माना जा रहा है।

इससे पहले चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवेकहीन जासूसी मंजूर नहीं की जा सकती। किसी की निजता का उल्लंघन नहीं होनी चाहिए। निजता के हर आक्रमण को तार्किकता और संवैधानिक आवश्यकता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि वैधानिक कानून के बिना इस तरह के आक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती। जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है। उनमें संतुलन भी जरूरी है. तकनीक पर आपत्ति सबूतों के आधार पर होनी चाहिए। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए।

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