भारत जोड़ो यात्रा: सत्तापक्ष ही नहीं गैर कांग्रेसी विपक्ष को भी बड़ा संदेश

राहुल यह संदेश देने में सफल दिख रहे हैं कि भाजपा-संघ की विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले नेताओं में वह सबसे सबसे आगे और सबसे बेखौफ हैं

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा (#BharatJodoYatra) पर निकल चुके हैं। उनकी यात्रा की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनसे साफ जाहिर है कि यात्रा को व्यापक समर्थन मिल रहा है। दूसरी ओर देश के सियासी परिवेश में इस यात्रा के न सिर्फ सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष के लिए बड़े मायने निकाले जा रहे हैं।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर हर आयु वर्ग में उत्साह नजर आ रहा है। राहुल भी बेहद साधारण तरीके से आम जन से न सिर्फ संवाद करते दिख रहे हैं बल्कि बच्चों से लेकर महिलाओं और छोटे दुकानदार यहां तक कि चाय की छोटी सी दुकान पर रुक कर खुद की सहज सरल छवि स्थापित कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने अपनी यात्रा को नफरत की राजनीति के खिलाफ केंद्रित किया है। राहुल ने नफरत की राजनीति को मूल मुद्दा बना सत्ता पक्ष यानी भाजपा और उसके पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं संघ के खिलाफ बड़ा और निर्णायक हमला किया है। राहुल गांधी पहले भी भाजपा और संघ के खिलाफ की राजनीति के खिलाफ तीखे हमले करते रहे हैं।

अब इस यात्रा से राहुल यह संदेश देने में सफल साबित होते दिख रहे हैं कि भाजपा और संघ की विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले नेताओं में वह सबसे सबसे आगे और सबसे बेखौफ हैं। साथ ही पीएम मोदी के अलावा ईडी,आईटी और सीबीआई से न डरने की बात वे जिस बेबाकी से कर रहे हैं वह उन्हें केंद्र की सत्ता के खिलाफ एक बड़ा योद्धा बनाता दिखाई दे रहा है।

दूसरी ओर राहुल गांधी गैर कांग्रेसी विपक्ष को भी बड़ा संदेश दे रहे हैं। विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत नेताओं को राहुल गांधी ने इस यात्रा के माध्यम से सीधा संदेश दे दिया है कि कांग्रेस के अलावा कोई भी ऐसी पार्टी नहीं जिसकी स्वीकार्यता कन्याकुमारी से कश्मीर तक हो। ऐसे में कांग्रेस को साइडलाइन कर विपक्षी एकता का ख्वाब देख रहे नेताओं के लिए भी राहुल की यह यात्रा आंख खोलने वाली मानी जा रही है।

राहुल गांधी स्वयं भी इस यात्रा के दौरान विपक्षी एकता पर जोर दे रहे हैं। राहुल गांधी यह जानते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार को चुनौती देने के लिए विपक्ष को साथ आना होगा। ऐसे में वे खुद विपक्षी एकता की पहल तो कर रहे हैं साथ ही यह संदेश देने में भी कामयाब हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता का कोई अर्थ नहीं और वे खुद को कन्याकुमारी से कश्मीर तक के सर्वमान्य नेता के रूप में स्थापित करते जा रहे हैं।

भारत जोड़ो यात्रा जिन राज्यों से होकर कश्मीर तक पहुंचेगी उनमें केवल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में ही जल्द विधानसभा चुनाव हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में चुनाव अगले साल है। ऐसे में इतना तो साफ है कि इस यात्रा को विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आकार नहीं दिया गया है। इस यात्रा का संदेश केंद्रीय राजनीति पर ही है।

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