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कृषि कानून: बिना चर्चा लाए बिना चर्चा वापसी, न्यू इंडिया का नया लोकतंत्र

संसद के शीत सत्र के पहले दिन कृषि कानूनों की वापसी। ध्वनिमत से मंजूरी। विपक्ष ने बिना चर्चा कृषि कानूनों की वापसी पर उठाये सवाल।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) संसद के शीत सत्र के पहले दिन ही कृषि कानूनों की वापसी हो गई। सत्र के पहले दिन सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून वापसी बिल पेश किया। विपक्ष ने इस पर चर्चा की मांग की। जिस पर सदन में हंगामा होने लगा। इस बीच बिल को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि सरकार इस पर चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है?

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक साक्षात्कार में कहा कि हम किसानों के लिए एमएसपी कानून, आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है उनके परिवारजनों को मुआवजा जैसे मसले संसद में उठाना चाहते थे लेकिन सरकार ने हमें मौका नहीं दिया।

दूसरी ओर सोशल मीडिया पर भी बिना चर्चा ध्वनिमत से कृषि कानून की वापसी पर सवाल उठाये गए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने इसे न्यू इंडिया का नया लोकतंत्र बताया-

पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट किया-

सोशल मीडिया पर भी बिना चर्चा कृषि कानून की वापसी पर तीखी प्रतिक्रिया दिखाई दी –

गौरतलब है कि 19 नवम्बर को सुबह अचानक प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया था। तब उन्होंने कहा था कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा था कि साथियों, मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य, कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए।

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