एयर स्ट्राइक के तीन साल, ग्वालियर बेस से उड़े थे विमान
Sangam Dubey
भोपाल (जोशहोश डेस्क) ठीक दो साल पहले 26 फरवरी 2019 को भारतीय सेना के विमानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बालाकोट में आतंकवादियों के कैम्पों को निशाना बनाया था। इस सर्जिकल स्ट्राइक में ग्वालियर बेस ने भी प्रमुख भूमिका निभाई थी। भारत ने पाकिस्तान को 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले का जवाब दिया था।
14 फरवरी 2019 को जम्मु कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों के काफीले पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसके बाद से ही राष्ट्रीय सुरक्षा साहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में तीनों सेनाओं ने रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। तब वायु सेना के प्रमुख बी एस धनोआ ने सरकार के सामने एयर स्ट्राइक करने का विकल्प रखा था, जिसे मंजूर कर लिया गया।
विमानों नेग्वालियर बेस से भरी उड़ान
22 फरवरी को खैबर के बालाकोट, पीओके के मुजफ्फराबाद और चकोटी में टारगेट सेट कर लिया गया था। इसके बाद ट्रायल रन भी किया गया। सोमवार को रात लेजर गाइडेड बम से लैस मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरी। 12 मिराज-2000 विमानों ने किसी भी सीमावर्ती एयरबेस के बजाए ग्वालियर बेस से उड़ान भरी, ताकि पाकिस्तानियों को भनक भी न लगे। ये पहले हिंडन, फिर सिरसा और हिमाचल की तरफ से होते हुए कश्मीर गए और वहां से टर्न लेकर लक्ष्य की तरफ उड़े। लक्ष्य पर पहुंच कर नीची उड़ान भरकर आतंकी सिविरों पर 6 बम गिराए गए और मिशन पूरा कर ग्वालियर बेस वापस आ गए। यह मिशन 21 मिनट चला था।
किसी भी खतरे से निपटने की थी तैयारी
अर्ली वॉर्निंग जेट ने भटिंडा से उड़ान भरी थी। अर्ली वॉर्निंग जेट हवा में मौजूद खतरे को बताता है। इसके साथ ही हिंडन एयरपोर्ट भी बैकअप के लिए तैयार था। बताया गया कि 6 मिराज एलओसी पार अंदर गए थे, जबकि 6 मिराज और सुखोई लड़ाकू विमान बैकअप के लिए नियंत्रण रेखा के पास खड़े थे। इसका मकसद यह था कि यदि कोई खतरा होता तो ये विमान उससे निपट लेते।