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भाजपा स्थापना दिवस: 1984 में जब अटल बिहारी तक हारे थे तब कौन थे जीतने वाले दो सांसद?

1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की स्थापना हुई थी। चार साल बाद हुए आम चुनाव में भाजपा के दो सांसद ही संसद की सीढ़ी चढ़ पाए थे।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) भारतीय जनता पार्टी आज (6 अप्रैल) को अपना 41 वां स्थापना दिवस मना रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्तााओं को संबोधित भी किया। वर्ष 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई थी। चार साल बाद हुए आम चुनाव में भाजपा के दो सांसद ही संसद की सीढ़ी चढ़ पाए थे।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर में भाजपा के दिग्गज नेता तक चुनाव हार गए थे। इनमें अटल बिहारी वाजपेयी तक शामिल थे। इस दौर में जीतने वाले दो भाजपा के दो सांसद थे चंदूपाटला रेड्डी और एके पटेल।

भाजपा ने 1984 के आम चुनाव में 20 राज्यों में 224 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था लेकिन जीत केवल रेडृडी और एके पटेल के खाते में ही आ सकी। राजीव गांधी के लिए सहानुभूति की लहर का आलम यह था कि भाजपा के 108 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

चंदूपाटला रेड्डी

इस दौर में चंदूपाटला रेड्डी ने आंध्रप्रदेश की हनामकोडा सीट पर कमल खिलाया था। उन्होंने कांग्रेस के पीवी नरसिम्हा राव को करीब 55 हजार वोट से शिकस्त दी थी। हालांकि बाद में नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री तक बने और भाजपा यह सीट दोबारा कभी नहीं जीत पाई।

भाजपा को दूसरी सफलता गुजरात की मेहसाणा सीट पर मिली थी। यहां एके पटेल ने कांग्रेस के कल्याण भाई को करीब 44 हजार मतों से परास्त किया था। पेशे से चिकित्सक एके पटेल इससे पहले दो बार गुजरात विधानसभा के सदस्य भी रह चुके थे

एके पटेल

एके पटेल इसके बाद लगातार चार बार इस सीट पर विजयी रहे। जब केंद्र में अटल सरकार बनी तो पटेल रसायन और उर्वरक मंत्री भी बनाए गए।

इस चुनाव में भाजपा के बड़े दिग्गजों को भी हार का सामना करना पड़ा था। स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में माधवराव सिंधिया से करीब पौने दो लाख वोट से हारे थे। उनके अलावा मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, मदनलाल खुराना, उमा भारती, प्रमोद महाजन, लाल जी टंडन और राम जेठमलानी जैसे बड़े नाम भी कांग्रेस की लहर में अपनी साख नहीं बचा पाए थे।

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