क़ानूनी विवादों में दुनिया भर के पत्रकारों के हितों की रक्षा करेगा अमेरिका, विशेष फंड का ऐलान

अमेरिका अब ऐसे पत्रकारों को कानूनी विवाद में मदद करेगा जो लोकतांत्रिक सरकारों की दमनपूर्ण नीति का शिकार हो कानून लड़ाई लड़ रहे हैं।

वाशिंगटन (जोशहोश डेस्क) दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में दमनकारी सरकारों के खिलाफ जनहित और मानवाधिकारों की पत्रकारिता कर रहे खोजी पत्रकारों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने बड़ा ऐलान किया है। अमेरिका अब ऐसे पत्रकारों को कानूनी विवाद में मदद करेगा जो लोकतांत्रिक सरकारों की दमनपूर्ण नीति का शिकार हो कानून लड़ाई लड़ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इसके लिए एक अलग फंड बनाए जाने की भी घोषणा की है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने यह ऐलान ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ के ओपन सेशन को संबोधित करते हुए किया। राष्ट्रपति बिडेन ने कहा कि हम खोजी पत्रकारों की सुरक्षा में सहयोग करने की दृष्टि से एक नया मानहानि रक्षा कोष (Defamation defend fund ) बनाने जा रहे हैं। इस फंड से दुनिया भर में दमनकारी सरकारों की नीतियों के चलते कानूनी विवादों में फंसे पत्रकारों की आर्थिक मदद की जाएगी।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता को खतरा है। लोकतांत्रिक मूल्यों और सार्वभौमिक मानवाधिकारों पर संकट बढ़ता जा रहा है। इन परिस्थितियों में हमें पत्रकारों के रूप में वो चैंपियन चाहिए जो जनहित और मानवाधिकार की लड़ाई बेखौफ लड़ सकें और दुनिया भर में ऐसे चैंपियंस पत्रकारों को अमेरिका अपना समर्थन देगा, उनकी हर तरह से मदद करेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अमेरिकी सरकार में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए अगले साल 424 मिलियन डॉलर का फंड बनाया जाएगा। इसका उपयोग मीडिया की स्वतंत्रता के समर्थन के लिए भी किया जाएगा क्योंकि हमें न्याय और कानून के शासन के लिए स्वतंत्र प्रेस, अभिव्यक्ति की आजादी, धर्म की स्वतंत्रता और प्रत्येक व्यक्ति के मानवाधिकारों के लिए खड़ा होना पड़ेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का यह ऐलान इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक होती नजर आ रही है। साल 2021 के ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) में 180 देशों में से केवल 12 यानी कि 7% देशों में ही पत्रकारिता के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करने का दावा किया गया है और सूचकांक’ के मुताबिक 73% देशों में मीडिया की स्वतंत्रता पूरी तरह से या आंशिक रूप से अवरुद्ध है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में मुख्य रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयास में इस क्षेत्र के कई राष्ट्रों ने ‘राजद्रोह,’ ‘राष्ट्र की गोपनीयता’ और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर कठोर कानून बनाए हैं। ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ में भारत की स्थिति भी दयनीय है। 180 देशों के सूचकांक’ में भारत 142वें स्थान पर है। सूचकांक में भारत का प्रदर्शन अपने पड़ोसी देशों की तुलना में भी खराब है। इस लिस्ट में नेपाल को 106वाँ, श्रीलंका को 127वाँ और भूटान को 65वाँ स्थान प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान (145वें स्थान) भारत के करीब है।

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