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क्या ओलिंपिक के मेडल बनेंगे किसान आंदोलन की आवाज ?

ओलंपिक में देश को गौरवान्वित करने वाले नीरज और बजरंग दोनों के ही पिता हरियाणा के किसान हैं।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) टोक्यो ओलंपिक में शनिवार का दिन भारत के लिए अविस्मरणीय रहा। नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीता वहीं रेसलर बजरंग पुनिया ने काॅस्य पदक अपने नाम किया। अब स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा की अपने किसान पिता के साथ तस्वीर और बजरंग पुनिया के पुराने ट्वीट वायरल हो रहे हैं, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया था। सोशल मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि ओलिंपिक विजेताओं के मेडल अब किसान आंदोलन की आवाज भी बन सकते हैं।

ओलंपिक में देश को गौरवान्वित करने वाले नीरज और बजरंग दोनों के ही पिता हरियाणा के किसान हैं। दोनों ही खेत खलिहानों और संघर्षों के बीच से निकले हैं। शायद यही कारण था कि बजरंग पुनिया ने किसानों पर बल प्रयोग के खिलाफ आवाज उठाई थी। बजरंग के यह ट्वीट फिर वायरल है-

पदक जीतने के बाद नीरज चोपड़ा की भी अपने किसान पिता के साथ तस्वीर भी वायरल हो रही है। साथ ही किसानों के समर्थन की बात भी कही जा रही है

गौरतलब है कि बीते 8 महीने से हजारों किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। आंदोलन के दौरान कई किसान अपनी जान तक गवां चुके हैं लेकिन उनकी बात को नहीं सुना गया है बल्कि उनके लिए सत्ताधारी नेताओं ने खालिस्तानी, पाकिस्तानी, देशद्रोही, फर्जी किसान और मवाली जैसे शब्दों तक का इस्तेमाल किया है।

पत्रकार कृष्णकांत ने भी अपने आर्टिकल में सवाल उठाया है उन्होंने लिखा कि आठ महीने में आंदोलनरत किसानों के साथ दुश्मनों जैसा सुलूक किया गया और अब भी किया जा रहा है। ऐसे में अगर स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा अपने किसान पिता के साथ किसान आंदोलन के समर्थन में जंतर मंतर पहुंच जाएं तो क्या उन्हें ऐसा ही सम्मान मिलेगा? अगर हम मेडल विजेता नीरज चोपड़ाओं के साथ हैं तो उनके पिताओं को सड़कों पर लाठी क्यों मारते हैं?

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