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मार्च से अप्रैल के बीच एक लाख से ज्यादा मौतें, कमलनाथ के दावे से शिवराज के ऐलान पर सवाल

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में काेरोना से 30 मार्च से 20 मई तक 1,676 मौतें हुईं हैं।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश से कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर फिर बड़ा सवाल उठ गया है। कोरोना से हुई मौतों की वास्तविक संख्या को आधिकारिक संख्या से कहीं ज्यादा बताया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी कोरोना से हुई मौतों की संख्या को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि प्रदेश में मार्च से अप्रैल के बीच एक लाख से अधिक मौतें हुई हैं।

कमलनाथ ने शिवराज सरकार को घोषणाओं की सरकार भी कहा। उन्होंने कहा कि जब इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे गए हों तो सरकार उनके आश्रितों को प्रति माह पांच हजार पेंशन कैसे देगी? इसकी क्या योजना है? यह बताया जाना चाहिए। सरकार को यह भी बताना चाहिए कि उसकी घोषणाओं का लाभ कितने लोगों तक पहुंचेगा?

कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के दावे के बाद शिवराज सरकार के उस फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं जिसमें सरकार ने ऐलान किया है कि कोरोना से मौत पर मृतक के परिजनों को सरकार एक-एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि देगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में काेरोना से 30 मार्च से 20 मई तक 1,676 मौतें हुईं हैं।

आशंका जताई जा रही है कि शिवराज सरकार के इस ऐलान का लाभ गिने चुने परिवारों को ही मिल पाएगा जबकि कोरोना की बलि चढ़े मृतकों की संख्या और प्रभवित परिवारों की संख्या कहीं अधिक है। इसका अंदाजा भोपाल के विश्राम घाट और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। गुरुवार ( 20 मई) को भोपाल में 48 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल से किया गया जबकि सरकारी आंकड़ों में दर्ज मौतों की संख्या केवल 11 है।

यानी भोपाल में 20 मई को सरकारी आंकडों में दर्ज केवल 11 मतकों के परिवारों को ही सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह राशि मिल पाएगी। जबकि 48 परिवारों ने कोरोना से मौत का दंश झेला। यह एक दिन का आंकड़ा है। मार्च से लेकर अब तक के कुल आंकड़ों में कितना अंतर होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह भी सामने आ रहा है कि कोरोना प्रोटोकाल से जिन मृतकों का अंतिम संस्कार हो रहा है, उनके मुत्यु प्रमाण पत्र में मौत की वजह कोरोना नहीं बताई जा रही है।

यहां तक कि अगर एक मरीज कोरोना प्रभावित होकर अस्पताल में भर्ती होता है और इलाज के दौरान वह कोरोना निगेटिव हो जाए लेकिन उसके अन्य अंग काम करना बंद कर दें और उसकी मौत हो जाए तो भी वह कोरोना से मौत नहीं मानी जा रही है।

ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं। इस परिस्थिति में परिजनों के लिए कोरोना से मौत साबित करना भी आसान नहीं होगा। कोरोना से मौत को लेकर आईसीएमआर ने जो गाइडलाइन जारी की है उसका भी पालन नहीं हो रहा है। आईसीएमआर ने कोरोना मौत की गणना को लेकर जो बिंदु तय किए हैं। इसके मुताबिक-

. कोविड पाॅजिटिव मरीज की मौत बिना लक्षण के भी हो तो उसे कोविड से मौत ही गिना जाए
. कोविड पाॅजिटिव मरीज की सांस लेने की दिक्कत से भी जान जाए तो उसे कोविड से मौत ही गिना जाए
. कोविड पाॅजिटिव मरीज को पहले से भी कोई बीमारी तो भी मौत को कोविड से मौत ही गिना जाए
. अगर कोई मरीज कोविड निगेटिव है या उसकी जांच नहीं हुई है और उसकी मौत कोविड के लक्षण से हो जाए तो भी उसकी मौत को कोविड की संदिग्ध मौत माना जाए

आईसीएमआर की स्पष्ट गाइडलाइन के बाद भी ग्रामीण इलाकों में शिवराज सरकार के ऐलान का फायदा मिलना और भी मुश्किल नजर आ रहा है क्योंकि यहां न तो पर्याप्त टेस्टिंग हुई हैं और न ही मरीजों को अस्पताल में इलाज मिल सका। मौत होने पर उनका दाह संस्कार भी कर दिया गया। अब ऐसे में उनके परिजनों को सरकार की घोषणा का फायदा कैसे मिलेगा यह बड़ा सवाल है।

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