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दमोह उपचुनाव: राहुल लोधी को ‘चप्पल’ का खौफ, हमनामों से डरे कांग्रेस-भाजपा

राहुल लोधी के चचेरे भाई वैभव सिंह लोधी ने भी उनके खिलाफ ताल ठोंक दी है। वैभव सिंह चप्पल चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में हैं।

दमोह (जोशहोश डेस्क) नामांकन की स्थिति साफ होने के बाद दमोह अब चुनाव प्रचार के रंग में रंगने लगा है। तेज होते चुनाव प्रचार के बीच भारतीय जनता पार्टी के राहुल लोधी को चप्पल का खौफ सता रहा है। वहीं कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने उम्मीदवारों के हमनामों से डर रहे हैं।

कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में आए राहुल लोधी के चचेरे भाई वैभव सिंह लोधी ने भी उनके खिलाफ ताल ठोंक दी है। वैभव सिंह चप्पल चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में हैं। वैभव का कहना है कि राहुल लोधी भले ही उनके चचेरे भाई क्यों न हों लेकिन चुनाव में वे पूरी ताकत के साथ उतरे हैं।

बड़ा मलहरा से भाजपा विधायक प्रदुम्न सिंह लोधी भी वैभव सिंह के चचेरे भाई लगते हैं। प्रद्युम्न सिंह लोधी और राहुल लोधी दोनों ने ही कांग्रेस के टिकट पर 2018 का विधानसभा चुनाव जीता था लेकिन दोनों ही इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। दोनों जब तक कांग्रेस में थे वैभव सिंह दोनों के ही साथ थे।

वैभव सिंह लोधी चुनावी मैदान में उतरने के पीछे राहुल लोधी को ही कारण बताते हैं। उनका कहना है कि राहुल लोधी जैसे मौकापरस्त ने दमोह की धरती को कलंकित किया है। लोकतंत्र की हत्या करने वाले ऐसे लोगों को जनता की अदालत में सजा दिलाना चाहते हैं।

अपने चुनाव चिन्ह को लेकर वैभव सिंह का कहना है कि जो जनता से गद्दारी करे उसे जूते या चप्पल से ही पीटे जाने की बात कही जाती है। इसलिए उन्होंने अपना चुनाव चिन्ह भी जूता या चप्पल मांगा था। चूंकि जूता चुनाव चिन्ह आवंटित नहीं इुआ इसलिए अब वे चप्पल के चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में हैं।

यह माना जा रहा है कि वैभव सिंह भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी का चुनावी गणित बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। वैभव और राहुल दोनों ही लोधी समाज के हैं। दमोह सीट पर लोधी वोटर बड़ी संख्या में हैं। ऐसे में वैभव के मैदान में उतरने से लोधी समाज के वोटों का विभाजन हो सकता है जो राहुल लोधी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

दूसरी ओर नाम वापसी के बाद अब दमोह उपचुनाव में 22 उम्मीदवार बचे हैं। भाजपा से यहां राहुल लोधी और कांग्रेस से अजय टंडन मैदान में हैं। दोनों ही दलों की परेशानी इनके उम्मीदवारों के हमनामों का भी चुनाव लड़ना है। इस बार राहुल और अजय नाम के 4-4 उम्मीदवार मैदान में हैं। दोनों ही दलों को यह भय सता रहा है कि एक जैसे नामों के चलते उन्हें वोटों का नुकसान न हो जाए।

बीते विधानसभा चुनाव में राहुल लोधी करीब आठ सौ वोटों से चुनाव जीते थे। बड़ी बात यह थी कि राहुल नाम से ही खड़े दो अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस चुनाव में कुल तीन हजार वोट हासिल किए थे। ऐसे में एक जैसे नाम उम्मीदवारों के लिए खतरे की घंटी भी बन जाते हैं।

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