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अब कश्मीर से कोई राज्यसभा में नहीं आ पाएगा, जानिए क्यों ?

अब राज्यसभा में जम्मू कश्मीर का कोई चेहरा दिखाई नहीं देगा। इसे राज्यसभा की अवधारणा के विपरीत भी माना जा रहा है।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद समेत जम्मू कश्मीर के चार सांसदों के कार्यकाल का आखिरी दिन था। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुलाम नबी आजाद के भावुक संबोधन भी हुए। इसके साथ ही अब राज्यसभा में जम्मू कश्मीर का कोई चेहरा दिखाई नहीं देगा। इसे राज्यसभा की अवधारणा के विपरीत भी माना जा रहा है।

अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। इस तरह राज्य में अब विधानसभा अस्तित्व में नहीं है। केंद्र सरकार हालात सामान्य होने पर राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की बात कह तो रही है लेकिन निकट भविष्य में इसकी कोई संभावना नहीं दिखती।

ऐसे में यह माना जा रहा है कि गुलाम नबी आजाद समेत चारों सांसद जम्मू-कश्मीर के राज्यसभा में आखिरी चेहरे थे। मंगलवार को इनकी विदाई के साथ ही अब इस राज्य का कोई चेहरा राज्यसभा में दिखाई नहीं देगा।

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राष्टीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने एक इंटरव्यू में इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा से मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के चार सांसद विदा हुए। इनमें गुलाम नबी आजाद तो बीते 28 सालों से इस सभा के सदस्य थे। अब जम्मू-कश्मीर को कोई चेहरा सदन में नहीं दिखेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि सदन में कश्मीर की आवाज का न होना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। मनोज झा ने सवाल उठाया कि जब जम्मू-कश्मीर का सदन में प्रतिनिधित्व ही नहीं होगा तो सदन को कैसे ‘हाउस ऑफ स्टेट्स’ कहा जाएगा?

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के चार सांसदों के विदाई मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भावुक संबोधन दिया था। इसमें उन्होंने गुलाम नबी आजाद की प्रशंसा करते हुए कहा था कि आप का अनुभव हमेशा देश के लिए लाभकारी होगा और मैं आपको कभी निवृत नहीं होने दूंगा। इसके बाद से सियासी हलके में गुलाम नबी आजाद को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।

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