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संघ ‘प्रचारक’ का मुकाबला करेगा सेवादल का ‘विचारक’, रहेगा बड़ा अंतर

संघ प्रचारकों की जमीनी सक्रियता का मुकाबला करने कांग्रेस का सेवादल भी तैयार कर रहा अपने विचारक।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक सफलता में राष्टीय स्वयं सेवक संघ और इसके प्रचाकरों की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। अब संघ प्रचारकों की जमीनी सक्रियता का मुकाबला करने कांग्रेस का सेवादल भी अपने विचारक तैयार कर रहा है लेकिन ये विचारक संघ प्रचारकों से कहीं अलग होंगे। जो देश भर में विभाजनकारी और ध्रुवीकरण के एजेंडे के खिलाफ लोगों को जागरुक करेंगे।

सोशल मीडिया मंच ट्विटर पर ‘आजादी कल आज और कल’ विषय पर आयोजित स्पेस में सेवादल के राष्टीय अध्यक्ष लालजी देसाई ने वर्तमान संदर्भों में सेवादल की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि नफरत के एजेंडे को गांधीवादी सोच से ही परास्त किया जा सकता है। यह काम केवल कांग्रेस ही कर सकती है। इसके लिए सेवादल अब अपने विचारकों को तैयार करेगा।

लालजी देसाई ने सेवादल के विचारकों को संघ के प्रचारकों से बिल्कुल अलग भी बताया। उन्होंने कहा कि संघ के प्रचारक एक तरह से लाउड स्पीकर की तरह कार्य करते हैं।

संघ के प्रचारकों को वही कहना होता है जो उन्हें संघ से आदेशित होता है। वहीं सेवादल का विचारक आदेशित न होकर स्वयं निर्देशित रहेगा।

सेवादल द्वारा निकाली जा रही गौरव यात्रा की अहमियत को भी कार्यक्रम में रेखांकित किया गया। देश की आजादी के 75 साल पूरा होने के अवसर पर सेवादल ने “आजादी गौरव यात्रा” का आगाज गुजरात के साबरमती आश्रम से किया है।

6 अप्रैल से प्रारम्भ यह यात्रा 1178 किलोमीटर का सफर कर 1 जून को दिल्ली स्थित राजघाट पर समाप्त होगी। इस दौरान यह यात्रा चार राज्यों के 750 से अधिक गाँव से गुजरेगी। यात्रा का लालजी देसाई के नेतृत्व में ही किया जा रहा है।

गौरतलब है कि कांग्रेस में सेवादल को फ़ौजी अनुशासन और जज़्बे के लिए जाना जाता है। कभी कांग्रेस में शामिल होने से पहले सेवादल की ट्रेनिंग ज़रूरी होती थी। इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी की कांग्रेस में एंट्री सेवादल के माध्यम से ही कराई थी। नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक सब सेवादल को ‘कांग्रेस का सच्चा सिपाही’ कहते रहे हैं लेकिन बीते तीन दशकों से यह संगठन लगातार कमजोर हुआ है। कार्यक्रम में लालजी देसाई ने भी स्वीकार किया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल के बाद यह संगठन कमजोर हुआ है।

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