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PM से ‘शिव-राज’ के भ्रष्टाचार की शिकायत, सागर के प्रोफ़ेसर का पत्र वायरल

प्रदेश सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार की पीएम नरेंद्र मोदी से शिकायत, सागर के प्रोफेसर का लैटर वायरल

भोपाल/ सागर (जोशहोश डेस्क) प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर शिवराज सरकार लगातार घिरती नजर आ रही है। कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर 225 घोटालों का जिक्र करते हुए आरोप पत्र जारी किये जाने के बाद अब एक और वायरल लैटर ने शिवराज सरकार में भ्रष्टाचार की कलई खोल दी है। वायरल लैटर में प्रदेश सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार की पीएम नरेंद्र मोदी से शिकायत की गई है।

मामला सागर के प्रोफेसर डाॅक्टर सर्वेश जैन से जुड़ा है। डाॅक्टर सर्वेश जैन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे पत्र में सिलसिलेवार बताया है कि किस तरह उन्हें एक भूखंड की रजिस्ट्री कराने से लेकर भवन निर्माण की अनुमति तक के लिए रिश्वत देना पड़ रही है। स्वतंत्रता दिवस के पौके पर पीएम मोदी को सम्बोधित कर लिखे इस पत्र में डाॅक्टर सर्वेश जैन ने दो टूक लिखा कि रिश्वत के इन हालातों में मेरी देशभक्ति और उत्साह काफूर हो गया है।

मेडिकल काॅलेज के प्रोफेसर सर्वेश जैन ने पत्र में यहाँ तक लिखा कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से काेई उम्मीद करना बेकार है क्योंकि वे आम आदमी काे परेशान करने में ज्यादा रुचि लेते हैं। इस स्वतंत्रता दिवस पर आपकाे सच्चाई से अवगत कराने काे ही सच्ची देशभक्ति मानता हूं।

पत्र वायरल होने पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर अपने भ्रष्टाचार के आरोपों को दोहराया है। कांग्रेस ने लिखा कि सागर के प्रोफ़ेसर ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर शिव’राज की कमीशनखोरी की पोल खोल दी है। कांग्रेस ने साथ ही लिखा कि शिवराज जी, पाप का घड़ा भरकर बहने लगा?

प्रोफेसर सर्वेश जैन ने पीएम मोदी को लिखा कि

मेरे स्वर्गीय पिता का सपना था कि सागर शहर में मेरा अपना एक भूखंड हो, जिस पर मैं अपनी वेतन और नियम अनुसार की गई प्राइवेट प्रैक्टिस से एक मकान बनवा सकूं, जो मेरे शासकीय सेवा से निवृत्त होने पर मेरा आसरा बने। इसके लिए मैंने एक भूखंड खरीदा लेकिन इतनी सारी फीस और उसके बाद रिश्वत देने से मेरा सारा उत्साह और देशभक्ति काफूर हो गई। रजिस्ट्री करवाने गए तो स्टांप और फीस के अलावा एक ऑफिस खर्चा नाम से हस्तलिखित पर्ची मिल गई। इस पर दी जाने वाली रिश्वत का ब्यौरा था। यहां से फ्री होने पर नामांतरण के दाे बार 10-10 हजार देने पड़े। तत्पश्चात डायवर्सन में करीबन ₹100000 रुपए लगे। इसमें से ₹50000 रुपए रेडक्रास सोसायटी की रसीद के नाम पर लिए गए। अब नक्शा पास कराने में 1 लाख 10000 की रिश्वत मांगी जा रही है। ₹55000 की रसीद मिलेगी। वह अलग से देने हाेंगे।यह सब पिछले दो-तीन वर्ष के दौरान हुआ। मेरी समझ यह कहती है कि इस प्रकरण में दोषी है हमारी व्यवस्था, क्योंकि यह सारे कार्य आज कंप्यूटर के दौर में सिंगल विंडो पर होने चाहिए ताकि भ्रष्टाचार कम हो और आम आदमी को जाे भी देना है वह एक ही जगह पर एक बार में लिया जाए। महोदय आराेपाें के बाद आप आरोपों के सबूत मांगे जाएंगे लेकिन क्या यह सबूत नहीं कि उक्त कथन में वर्णित सरकारी कर्मचारी अधिकारियों की व्यक्तिगत संपत्ति आपसे ज्यादा होगी। अपनी आय से ज्यादा है। महाेदय आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो से काेई उम्मीद करना बेकार है क्योंकि वे आम आदमी काे परेशान करने में ज्यादा रुचि लेते हैं। इस स्वतंत्रता दिवस पर आपकाे सच्चाई से अवगत कराने काे ही सच्ची देशभक्ति मानता हूं।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने भी शिवराज सरकार के कार्यकाल को लेकर घोटालों की एक बुकलेट जारी की है। बुकलेट जारी करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस रफ्तार से घोटाले कर रहे हैं, वैसे में वह दिन दूर नहीं जब गूगल पर घोटाला शब्द टाइप किया जाएगा और शिवराज जी की तस्वीर सामने आ जाएगी। अगर शिवराज सरकार ने इतने घोटाले नहीं किए होते तो आज मध्यप्रदेश का नागरिक देश का सबसे समृद्ध और संपन्न नागरिक होता।

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