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MP की सत्ता पर हावी BJP के बुजुर्ग, संगठन में जी-जान लगा रहे युवा

भाजपा ने संगठन में तो युवाओं को मौका दिया है लेकिन सत्ता पर अब भी बुजुर्ग नेताओं का ही नियंत्रण,

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मिशन 2023 के लिए प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने मैदानी तैयारियां तेज कर दी हैं। चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने संगठन को अनुभवी नेताओं को सौंप सत्ता वापसी पर फोकस किया है वहीं भाजपा ने संगठन में तो युवाओं को मौका दिया है लेकिन सत्ता पर अब भी भाजपा के बुजुर्ग नेताओं का ही नियंत्रण है। इसके कारण पार्टी के युवा नेताओं में अंसतोष की बात भी सामने आती रहती है। अब युवा नेता चुनाव बाद इस स्थिति में बदलाव की उम्मीद भी लगाए बैठे हैं।

प्रदेश की सत्ता पर 15 साल से ज्यादा काबिज रह चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद 60 की उम्र का पड़ाव पार कर चुके हैं। वहीं उनकी कैबिनेट के दिग्गज मंत्री नरोत्तम मिश्रा और भूपेंद्र सिंह भी उम्र के छह दशक पूरे कर चुके हैं। मंत्री गोपाल भार्गव तो दो माह बाद 70 साल के हो जायेंगे। मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, ओमप्रकाश सकलेचा, प्रेमसिंह पटेल, कमल पटेल और जगदीश देवड़ा भी 60 की उम्र को पार कर चुके हैं। मंत्री विजय शाह भी चुनाव होने तक 60 के पड़ाव को पार कर चुके होंगे।

अगर शिवराज कैबिनेट के युवा मंत्रियों की बात की जाये तो उनमे अधिकाँश ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पाला बदल भाजपा में आए हैं। जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दलबदल कर सत्तासुख भोग रहे मंत्री तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभुराम चौधरी भी सेवानिवृति की उम्र को पार कर चुके हैं। सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया भी चुनाव होने तक 60 के हो जाएंगे।

दूसरी ओर भाजपा ने अपनी सबसे बड़ी ताकत कहे जाने वाले संगठन में जरूर युवाओं को अवसर देकर आगे बढ़ाया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ही इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। वीडी शर्मा की प्रदेश कार्यकारिणी में भी युवा चेहरों को भरपूर तवज्जो देकर बुजुर्ग नेताओं को साइडलाइन किया गया था। वीडी की नई टीम को 30 साल बाद पार्टी में पीढ़ी परिवर्तन की झलक तक बताया गया था। ऐसे में सवाल यह है कि भाजपा संगठन में पीढ़ी परिवर्तन जैसी झलक क्या सत्ता में भी दिखाई देगी? सवाल यह भी है कि क्या चुनाव बाद भाजपा में बाबूलाल गौर और सरताज सिंह वाले एपीसोड की पुनरावृत्ति होगी?

इधर भाजपा के उम्रदराज मंत्री अब अपने बेटों के लिए भी राजनीतिक जमीन तलाशते दिखाई दे रहे हैं। अधिकांश मंत्री पुत्र तो अपने पिता की विरासत संभालने सक्रिय भी हो चुके हैं। ऐसे में इन मंत्रियों के इलाके में जी जान लगा रहे युवा नेताओं के सामने भाजपा में अपने भविष्य का संकट भी गहराने लगा है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक मंत्रियों की आमद के बाद युवा नेताओं को संगठन में तो अवसर मिलने की उम्मीद तो दिखती है लेकिन सत्ता से दूरी अनुशासन की मजबूरी बन सामने आ रही है। जिसे लेकर पार्टी बैठकों में स्वर उठ चुके हैं।

इसके बीच मजे की बात यह भी है कि रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुके और रिटारयमेंट की उम्र की कगार पर बैठे भाजपा सरकार के मंत्री अपनी उम्र को भुला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ समेत कांग्रेस के अन्य अनुभवी नेताओं की उम्र को लेकर कटाक्ष करते नजर आते हैं। कटाक्ष करते समय इन मंत्रियों को न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र याद आती है न गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की। वहीं मीडिया का एक वर्ग भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व सत्तासुख भोग रहे भाजपा मंत्रियों की उम्र को दरकिनार कर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की उम्र को मुद्दा बनाता नजर आ रहा है।

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