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पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा का पत्र, प्रिय नरेंद्र जी… सत्ता का मद आपके सिर चढ़ गया है?

पूर्व सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने फेसबुक पोस्ट में सरकार को दो टूक लिखा है कि सत्ता का मद सिर चढ़ गया है और सरकार दुर्लभ जनमत को खो रही है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) किसान आंदोलन को लेकर अब भाजपा में भी केंद्र सरकार की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पूर्व सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा (Raghunandan Sharma) ने फेसबुक पोस्ट में सरकार को दो टूक लिखा है कि सत्ता का मद सिर चढ़ गया है और सरकार दुर्लभ जनमत को खो रही है।

रघुनंदन शर्मा ने पत्र की शुरुआत प्रिय नरेंद्र से की है। हालांकि उन्होंने यह साफ किया है कि यह संबोधन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए है। उन्होंने पत्र की पहली लाइन में इसे स्पष्ट करते हुए लिखा भी है कि आप भारत शासन में सहयोगी और सहभागी हैं।

सत्ता को लेकर भ्रम

प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके रघुनंदन शर्मा ने लिखा कि आज की राष्ट्रवादी सरकार बनने तक हज़ारों राष्ट्रवादियों ने अपने जीवन और यौवन को खपाया है ।पिछ्ले 100 वर्षों से जवानियाँ अपने त्याग समर्पण और परिश्रम से मातृभूमि की सेवा तथा राष्ट्रहित सर्वोपरि की विचार धारा के विस्तार में लगी हुई है। आज आपको जो सत्ता के अधिकार प्राप्त हैं, वे आपके परिश्रम का फल है, यह भ्रम हो गया है।

सत्ता का मद अदृश्य होता है
रघुनंदन शर्मा ने लिखा – सत्ता का मद जब चढ़ता है तो नदी, पहाड़ या वृक्ष की तरह दिखाई नहीं देता, वह अदृश्य होता है जैसा अभी आपके सिर पर चढ़ गया है। प्राप्त दुर्लभ जनमत को क्यों खो रहे हो? कांग्रेस की सभी सड़ी गली नीतियाँ हम ही लागू करें यह विचार धारा के हित में नहीं है। बूंद बूंद से घड़ा खाली होता है, जनमत के साथ भी यही है ।

बाद में पछताना न पड़े

पत्र में रघुनंदन शर्मा ने आगे लिखा -आपकी सोच कृषकों के हित की हो सकती है परंतु कोई स्वयम का भला नहीं होने देना चाहता तो बलात् भलाई का क्या ओचित्य है। कोइ नंगा, नंगा ही रहना चाहता तो बल पूर्वक कपड़े क्यों पहनाना? आप राष्ट्रवाद को बल शाली बनाने में संवैधानिक शक्ति लगाओ, कहीं हमें बाद में पछताना ना पड़े । सोचता हूं विचार धारा के भविष्य को सुरक्षित रखने का संकेत समझ गए होगें ।

पहले भी दे चुके नसीहत
यह कोई पहला मौका नहीं जब रघुनंदन शर्मा ने पार्टी या सत्ता को नसीहत दी हो। इससे पहले भी वे कई मौको पर मुखर हो सत्ता और संगठन पर अपनी बेबाक राय सामने रख चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद रघुनंदन शर्मा ने पार्टी की विचारधारा को लेकर सवाल उठाए थे।

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