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अंतहीन इंतज़ार : स्वास्थ्यकर्मी मतलब आंदोलनजीवी – आश्वासनजीवी

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश के हजारों संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदलोन कर रहे हैं। सोमवार को अपनी मांगों को लेकर एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने कलियासोत डैम के किनारे प्रदर्शन किया था। इस दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का कोई भी अधिकारी उनसे बात करने नहीं पहुंचा। ऐसे में संविदा कर्मिचारियों ने अपनी मांगों का कलश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मुख्यालय में ही स्थापित कर दिया। इस कलश में संविदा नीति लागू करने, 90 प्रतिशत वेतन देने और आउटसोर्स की व्यवस्था बंद करने जैसी मांगें लिखी गईं हैं।

हालांकि संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के संयोजक अमिताभ चौबे ने कहा है कि आठ तारीख के धरना प्रदर्शन के बाद से ही प्रशासन स्तर से सकारात्मक संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने आगे की योजना को लेकर अपने साथियों से अनिश्चितकालीन आंदोलन की तैयारी रखने की बात कही है।

पिछले कई सालों से कर रहे मांग`

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की यह मांग अभी की नहीं है। वे पिछले कई सालों से अपने नियमितीकरण की आवाज उठाते रहे हैं। लेकिन सरकार ने उनपर अभी तक ध्यान नहीं दिया।

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी विरेंद्र उपराले ने बताया कि संविदा के कर्मचारियों ने सबसे पहले 2013 में नियमितीकरण की मांग की थी। तब उनकी मांगें नहीं मानी गईं। इसके बाद उन्होंने 2016 में फिर से आंदोलन किया। इस बार उनका आंदोलन 10 दिन तक चला था। लेकिन तब सरकार ने आश्वासन देकर आंदोलन रुकवा दिया था और मांगें पूरी नहीं की।

विरेंद्र उपराले सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि 2016 के बाद सरकार ने 2300 एनएचएम के कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। जो कि पिछले 8-10 सालों से काम कर रहे थे। इसके बाद से लगातार संविदा में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों को निकाला जा रहा है।

2018 में फिर से स्वास्थ्य कर्मचारियों ने आंदोलन किया था। 2018 में आंदोलन 42 दिन तक चला था। तब भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांग थी कि उन्हें नियमित किया जाए। विरेंद्र उपराले के अनुसार तब के भाजपा के स्वास्थ्य मंत्री ने लिखित में आश्वासन दिया था कि किसी भी एनएचएम कार्यकर्ता को निकाला नहीं जाएगा। लेकिन संविदा कर्मचारी अभी भी अपनी मांगों के पूरे होने का इंतजार कर रहे।

तीन प्रमुख मांगों को लेकर कर रहे हैं आंदोलन

स्वास्थ्य मिशन कर्मचारियों प्रमुख तीन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी पहली प्रमुख मांग है कि सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित किया जाए। इसके साथ ही उनकी मांग है कि वर्तमान मे 2018 की नीति को लागू किया जाए। जिसे अब तक लागू नहीं किया गया है। उनकी तीसरी मांग है कि जिन कर्मचारियों को निष्कासित किया गया है उनकी फिर से बहाली हो। इसके साथ ही संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ सपोर्टिंग स्टॉफ को एनएचएम में शामिल करने की भी मांग कर रहे हैं।

स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि 8 फरवरी को किया गया आंदोलन सरकार को उसके वादे याद दिलाने के लिए किया गया था। यदि सरकार अब भी बात नहीं मानती है तो कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन हड़ताल में जाने के लिए कदम उठाने पड़ सकते हैं। इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर बुरी तरह से असर पड़ सकता है।

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