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क्या बाबा साहेब के भगवाकरण की प्रयोगशाला बन रही आंबेडकर जन्मभूमि?

महू में विश्व हिन्दू परिषद की लगातार बढ़ रही सक्रियता, संविधान यात्रा के बाद किया आंबेडकर कथा का आयोजन, वीएचपी के आलोक कुमार थे कथावाचक।

इंदौर (जोशहोश डेस्क) भारत रत्न डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जन्मभूमि महू में विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। बीते माह यहां वीएचपी ने संविधान यात्रा निकाली थी अब इस माह यहाँ संगीतमय आंबेडकर कथा का आयोजन किया गया जिसमें वीएचपी के आलोक कुमार कथावाचक रहे। वहीं भाजपा अजाक्स के प्रदेश उपाध्यक्ष ने बाबा साहेब आंबेडकर को भगवान राम की तरह निरूपित किया। ऐसे में यह कहा जाने लगा है कि आंबेडकर जन्मभूमि बाबा साहेब के भगवाकरण की प्रयोगशाला बन रही है।

वेबपोर्टल देशगांव की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ आंबेडकर के नाम पर बने सामाजिक विज्ञान विश्व विद्यालय में बीते दिनों संगीतमय आंबेडकर कथा आयोजित की गई। प्रदेश के संस्कृति मंत्रालय के साथ मिलकर वीएचपी ने यह आयोजन किया। वीएचपी के अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने संगीतमय आंबेडकर कथा का वाचन किया। वहीं कथा श्रोता के रुप में संस्कृति मंत्री और महू से विधायक उषा ठाकुर और भाजपा के कार्यकर्ता भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

कथावाचन करते वीएचपी के अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार

रिपोर्ट के मुताबिक संगीतमय कथा में डॉ. आंबेडकर के जन्म से लेकर उनके तमाम संघर्षों की कहानी एक अलग तरीके से सुनाई गई। विश्व हिन्दू परिषद द्वारा यह आंबेडकर को भगवान के रुप में दिखाने की संभवतः पहली कोशिश है। दिलचस्प बात यह है कि 21 अप्रैल को आंबेडकर कथा का यह कार्यक्रम डॉ. आंबेडकर के ही नाम पर बनाए गए देश के पहले सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में किया गया। कार्यक्रम बुद्ध हॉल में आयोजित हुआ। जहां विश्वविद्यालय के बहुत से प्राध्यापक, छात्र आदि मौजूद रहे। हालांकि विश्वविद्यालय की ओर से सीधे तौर पर इस कार्यक्रम में कोई भाग नहीं लिया गया।

कथा का आयोजक संस्कृति मंत्रालय था लेकिन भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा को इसकी खास जिम्मेदारी दी गई थी। मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेष गिरजे के मुताबिक आंबेडकर का जाति संघर्ष तो इस कथा में था ही लेकिन यह जानकारी भी थी कि आंबेडकर को किस तरह बड़ौदा महराज, छत्रपति महराज जैसे सवर्णों ने सहयोग किया और उन्हें बाहर पढ़ने भेजा, बैरिस्टर बनाया और संविधान सभा का अध्यक्ष चुना। रामायण से जुड़े निचली जातियों के किरदारों को भी यहां वीएचपी शैली की हिन्दू संस्कृति से जोड़कर दिखाने की कोशिश की गई।

गिरजे ने कहा कि समाज को सच्चाई बताने के लिए यह कथा कही जा रही है और कथा करने में आंबेडकर का धार्मिकीकरण हो रहा है लेकिन यह गलत नहीं है क्योंकि जिस तरह से हिन्दू समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है उसे रोकना होगा। संस्कृति मंत्रालय द्वारा हुआ यह आयोजन आगे भी होते रहेंगे। गिरजे के मुताबिक हिन्दू संस्कृति से लोगों को वापस जोड़ने के लिए सारे प्रयास किये जा रहे हैं।

दूसरी ओर कथा सुनने पहुंचे आंबेडकर विश्वविद्यालय के एक छात्र ने बताया कि उन्होंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी कि एक महान आंबेडकर को हिन्दू धर्म का अनुयायी साबित करने की कोशिश की जा रही है जबकि अब तक उन्हें यहां ऐसा नहीं पढ़ाया गया और इतिहास की किताबों में भी यह बात कहीं नहीं है लेकिन संगीतमय आंबेडकर कथा सुनकर विश्वविद्यालय और शिक्षा के क्षेत्र से ज्यादातर लोग हतप्रभ थे। हालांकि ज्यादातर प्राध्यापक विश्वविद्यालय के इस बदल रहे स्वरूप को लेकर परेशान होकर भी चुप थे।

हालांकि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दिनेश शर्मा ने इस कार्यक्रम को संस्कृति मंत्रालय का बताया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. शर्मा विश्वविद्यालय परिसर में मौजूद भी नहीं थे। वहीं रजिस्ट्रार अजय वर्मा ने भी इस कार्यक्रम से विश्वविद्यालय का कोई अकादमिक संबंध न होने की बात कही है।

(यहां पढ़िए देशगांव की मूल खबर)

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