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तवांग में तनाव: PM मोदी का ‘चीन प्रेम’ वायरल, CM शिवराज पर भी सवाल

नई दिल्ली/भोपाल (जोशहोश डेस्क) अरुणाचल में एलएसी के पास तवांग में हुई झड़प के बाद एक ओर सेना के शौर्य पर भारतवासी गर्व कर रहे हैं वहीं केंद्र सरकार इस झड़प पर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। झड़प के बाद वायुसेना चीनी सीमा से सटे चार एयरबेस पर बड़ा सैन्याभ्यास करने जा रही है।

इधर अमेरिका ने एलएसी के पास चीन की ओर से सैन्यीकरण और सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की आलोचना की है। पेटांगन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने भारत का समर्थन करते हुए कहा है कि हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर तत्पर हैं। राइडर ने कहा कि चीन इंडो पैसिफिक रीजन में अमेरिकी सहयोगियों और साझेदार देशों को जानबूझ कर उकसा रहा है और अमेरिकी रक्षा विभाग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।

तवांग में झड़प के बाद सोशल मीडिया पर चीन को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाये जा रहे हैं। यहाँ तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने वीडियो भी कटाक्ष के साथ वायरल हो रहे हैं-

https://twitter.com/ShyamMeeraSingh/status/1602736763432304641?s=20&t=ahk8Sn_F9aS7YC6qBnUlwg

इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाये हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने भाजपा, आरएसएस और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी व उसकी सरकार से गहरे-नजदीकी संबंधों की सूक्ष्म जांच कराये जाने की मांग की है।

केके मिश्रा ने कहा कि यह मामला देश की अस्मिता, आंतरिक सुरक्षा और कथित आर्थिक लेनदेन से जुड़ा हुआ है। इन स्थितियों में भाजपा की कथित देशभक्ति, छद्म राष्ट्रवाद और सरहदों पर अपनी जान की बाजी लगाने वाले भारतीय सेना के प्रति उनके दृष्टिकोण पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित हो रहा है?

उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और गृहमंत्री देश के राजनैतिक सेनाध्यक्ष के रूप में अरूणाचल घटना को अपनी ऐतिहासिक सफलता और कूटनीतिक सफलता का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मप्र के मुखिया शिवराजसिंह चौहान चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और भाजपा में जबरदस्त साम्यता बताते हैं! यही नहीं वे 19 जून 2016 से 23 जून 2016 तक मप्र में चीनी निवेश को लेकर अपनी राजनैतिक यात्रा सार्वजनिक कर वहां जाते हैं, ताकि चीनी उद्योगपति भारत में अपने निवेश कर सकें। दूसरी तरफ भाजपा और आरएसएस देश में स्वदेशी वस्तुआंे के उत्पादन और उपयोग के लिए न केवल आंदोलन चलाती है, बल्कि चीन निर्मित वस्तुओं के बहिष्कार का आव्हान भी करती है, यह दोहरा चरित्र क्यों?

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग में झड़प को लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बयान दिया था। उन्होंने सदन को जानकारी देते हुए कहा था कि चीन की सेना (पीएलए) ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र के यांग्त्से में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की थी लेकिन मुस्तैद भारतीय सेना ने बहादुरी से इस कोशिश को नाकाम कर दिया। इस दौरान दोनों ओर के सैनिकों के बीच हाथापाई हुई जिसमें किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु नहीं हुई और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल है।

राजनाथ ने सदन को आश्वस्त किया कि सेना देश की सार्वभौमिक अखंडता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए हमेशा तत्पर है। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों सदन सेना की वीरता और साहस को एक स्वर से समर्थन देंगे। साथ ही बिना किसी संशय के सेना की क्षमता, शौर्य, पराक्रम और प्रतिबद्धता का अभिनंदन करेगा।

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