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BJP सरकार ने 23 भर्ती-प्रवेश परीक्षाओं में बेच डाला एक करोड़ युवाओं का भविष्य

विधानसभा चुनाव से पहले प्रवेश परीक्षाओं में बड़े घोटाले का आरोप, कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पूछे पांच सवाल

भोपाल (जोशहोश डेस्क) साल 2004 में भाजपा की सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश के युवाओं के भविष्य की बोली लगाना प्रारंभ कर दी थी जो आज तक भी जारी है। चाहे वो व्यापम घोटाला हो, डीमेट घोटाला हो, शिक्षक भर्ती घोटाला हो, नर्सिंग घोटाला हो या पटवारी भर्ती घोटाला, भाजपा ने प्रदेश के करोड़ों युवाओं के भविष्य को घोटालों की भेंट चढ़ा दिया है। भाजपा सरकार 23 प्रकार की भर्ती-प्रवेश परीक्षाओं में 1 करोड़ युवाओं का भविष्य बेच दिया।

विधानसभा चुनाव से पहले प्रवेश परीक्षाओं में बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि व्यवसायिक परीक्षा मंडल का पहला फर्जीवाड़ा खंडवा में 12 जून 2004 को सामने आया था, उसके बाद एक के बाद एक दर्ज़ FIR का आशय यह है कि 2004 से ही भाजपाई सत्ता की सरपरस्ती में व्यवसायिक परीक्षा मण्डल में घोटाले किये जा रहे थे। 23 प्रकार की भर्ती-प्रवेश परीक्षाओं में 1 करोड़ युवाओं का भविष्य बेचा गया।

सुरजेवाला ने कहा कि व्यापमं के साथ ही डीमेट घोटाला भी सामने आया, जिसमें डेन्टल और मेडिकल टेस्ट के नाम पर 6 निजी मेडिकल और 16 निजी डेन्टल कॉलेजों की सारी सीटें 50 लाख रुपये से लेकर 1.50 करोड़ रुपये में बेच दी गईं। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि डीमेट घोटाला व्यापम से भी बड़ा घोटाला है और हम इसकी जाँच भी नहीं कर सकते।

मप्र में संचालित फर्जी नर्सिंग कालेज का घोटाला का जिक्र करते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी ने कहा कि यह घोटाला इतना व्यापक और बड़ा है कि जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। मप्र में 695 नर्सिंग कॉलेज संचालित किये जा रहे हैं, जिसमें 3 साल से परीक्षाएं स्थगित हैं और 1.50 लाख बच्चों का भविष्य अंधकार में डाल दिया गया है। उच्च न्यायालय को यह तक कहना पड़ा कि हैरत है कि नर्सिंग का ‘एन’ भी न जानने वालों को भी परीक्षा की इजाजत दी गई।

पटवारी परीक्षा की बात करते हुए सुरजेवाला ने बताया कि 22 नवम्बर, 2022 को कर्मचारी चयन मंडल ने ग्रुप-2, सबग्रुप-4, और पटवारी की संयुक्त परीक्षा के लिए नोटिस जारी किया था। छात्रों ने 5 जनवरी से 19 जनवरी 2023 तक फार्म भरे, पटवारी भर्ती परीक्षा में लगभग 9,78,266 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। इसकी परीक्षा 15 मार्च से 25 अप्रैल 2023 तक ली गई। यह परीक्षा प्रदेश के 78 परीक्षा केंद्रों पर ली गई, 30 जून 2023 को इसका रिजल्ट जारी किया गया, इसमें लगभग 8,600 अभ्यार्थियों का चयन हुआ।

जब 10 दिन बाद मेरिट लिस्ट आयी तो पता लगा कि 10 में से 7 अभ्यार्थियों का परीक्षा सेंटर एक ही कॉलेज में था और कॉलेज भाजपा के विधायक का है। कई अभ्यर्थी ऐसे भी थे जो वनरक्षक भर्ती परीक्षा में फिट थे, जबकि उन्होंने पटवारी भर्ती परीक्षा में खुद को विकलांग बताया और विकलांग कोटे में उनका चयन हुआ।

व्यापक रूप से 15-15 लाख रूपये लेकर पटवारी भर्ती परीक्षा में घोटाले की बात सामने आने लगी। मप्र के मुख्यमंत्री ने 19 जुलाई 2023 को ट्वीट करके बताया कि पटवारी भर्ती परीक्षा की जाँच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा जी द्वारा की जायेगी और जांच के निष्कर्षों के आधार पर यथोचित अनुशंसाएं 31 अगस्त 2023 तक राज्य शासन को प्रस्तुत होंगी, जबकि सच्चाई यह है कि जाँच रिपोर्ट आज तक नहीं आयी है, और सरकार ने पटवारी भर्ती घोटाले पर पर्दा डाल दिया।

सुरजेवाला ने कहा कि सवाल यह उठता है कि जब 4 अप्रैल 2023 को ही पटवारी भर्ती परीक्षा में व्यापक घोटाले के प्रमाण मिल गए थे, तो भी पटवारी भर्ती परीक्षा जारी रखकर घोटाला होने दिया गया।

उन्होंने सरकार से पाँच सवाल भी किये :

  1. जब 04 अप्रैल, 2023 को ही पटवारी भर्ती घोटाला सामने आ गया था, तो प्रदेश स्तर पर इसकी व्यापक जाँच क्यों नहीं की गई?
  2. क्या पटवारी भर्ती घोटाला सरकार के संरक्षण में किया जा रहा था?
  3. 04 अप्रैल के फ़र्ज़ीवाडे को क्यों छिपाया गया? और क्या गुपचुप चालान पेश कर दिया गया?
  4. 18 साल से युवाओं के भविष्य को बेचने का यह गोरखधंधा क्यों चलाया जा रहा है?
  5. 15 मार्च से 4 अप्रैल 2023 के बीच कितने फर्जी सोल्वर पटवारी भर्ती परीक्षा में बिठाये गये ? पटवारी भर्ती घोटाले की जाँच का सच अब तक क्यों सामने नहीं आया?
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