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नीतीश राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, विपक्ष का प्लान या प्लांटेड खबर?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की खबर सुर्खियों में।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। मंगलवार सुबह से यह खबर सोशल मीडिया की सुर्खियों में है लेकिन इस खबर को लेकर पत्रकारिता जगत में ही विरोधाभास दिख रहा है। ऐसे में यह सवाल उठा कि क्या विपक्ष वाकई नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की योजना बना रहा है या यह खबर किसी खास कारणों से प्लांट कराई गई है?

दरअसल एक नेशनल न्यूज़ चैनल के पत्रकार विकास भदौरिया ने सूत्रों के हवाले इस खबर को शेयर करते हुए लिखा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते हैं। तेलंगाना के सीएम चंद्रशेखर राव ने इसके लिए पहल शुरू कर दी है इसके पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को बताया जा रहा है। इंतज़ार पांच राज्यों के नतीजों का हो रहा है।

पांच राज्यों में चुनावों के बीच यह खबर वाकई दिलचस्प और देश के सियासी माहौल में बेहद महत्वपूर्ण थी। राजनीतिक दलों का सियासी गुणा भाग भी इस खबर से जुड़ा है। ऐसे में पत्रकारों के बीच ही खबर पर चर्चा का दौर शुरू हो गया। एक अन्य पत्रकार नरेंद्रनाथ मिश्रा ने अप्रत्यक्ष रूप से इस खबर पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि KCR के करीबी नेता ने अभी मुझे बताया कि नीतीश कुमार से इस बारे में कुछ बात नही हुई है-

नरेंद्रनाथ मिश्रा के ट्वीट पर एक और नेशनल न्यूज चैनल के पत्रकार उमाशंकर सिंह ने दिलचस्प प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा-प्लांट करो का खेल शुरू हो गया। कश्मीरनामा व अन्य चर्चित पुस्तकों के लेखक अशोक कुमार पांडेय ने नीतीश कुमार की उम्मीदवारी को विपक्ष को बांटने के लिए रचा खेल बताया। वहीं एक अन्य पत्रकर शकील अहमद ने अशोक कुमार पांडेय के ट्वीट पर लिखा-इस खेल की सारी चाबी मोदी जी के पास है।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव जुलाई माह में संभावित है। पांच राज्यों में 690 विधायक चुन कर आना है। 19 राज्यसभा के सांसदों की भी सीट खाली हो रही है उनके चयन में भी यह नतीजे अहम रहने वाले हैं। ऐसे में पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव का राष्ट्रपति चुनाव में अहम रोल रहेगा। राष्ट्रपति चुनाव में विधायक और सांसद ही हिस्सा लेते हैं, ऐसे में जिस पार्टी के पास सबसे अधिक विधायक और सांसद होते हैं उसके उम्मीदवार के राष्ट्रपति चुनाव चीतने की संभावना अधिक रहती है।

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