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‘इंडिका’: तब अंग्रेज कहां भाड़ झोंक रहे थे, कोई नहीं जानता था..!

इंडिया के ऐतिहासिक संदर्भ पर डॉ राकेश पाठक की फेसबुक पोस्ट

अगर आपने भूले भटके इतिहास का ‘इ’ भी पढ़ा है तो आपने यूनानी राजदूत मेगस्थनीज का नाम सुना ही होगा। ईसा मसीह से तीन सदी पहले यूनान में पैदा हुए मेगस्थनीज ने एक क़िताब लिखी थी जिसका नाम ‘इंडिका’ है।

वह यूनानी शासक सेल्युकस निकेटर का सहयोगी था। सिकंदर की मृत्यु के बाद सेल्युकस ने भारत पर चढ़ाई की थी। तब उसका चंद्रगुप्त मौर्य से संघर्ष हुआ लेकिन अंततः उसे संधि करना पड़ी। संधि के बाद सेल्युकस ने अपनी बेटी हेलन करनेलिया (हेलेना) की शादी चंद्रगुप्त के साथ कर दी।

डॉ राकेश पाठक

इसी मौके पर मेगस्थनीज को यूनान के राजदूत के तौर पर चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में नियुक्त किया गया। सेल्युकस के लौटने के बाद मेगस्थनीज लगभग ढाई साल भारत में रहा। उसने अपने प्रवास के अनुभवों के आधार पर एक क़िताब लिखी जिसका नाम ‘इंडिका’ है।

इस क़िताब में उसने चंद्रगुप्त के दरबार से लेकर भारतीय समाज की दशा दिशा का वर्णन किया है। तो भाईयो, बहनो,जब मेगस्थनीज भारत आया और उसने अपनी क़िताब का नाम इंडिका रखा तब अंग्रेज धरती के किस छोर पर भाड़ झोंक रहे थे कोई नहीं जानता था। समझे.

(डॉ राकेश पाठक वरिष्ठ पत्रकार और कर्मवीर न्यूज़ के प्रधान संपादक हैं)

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