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क्या इंदौर कलेक्टर के दावों पर सवाल है DGP का बयान ?

इंदौर (जोशहोश डेस्क) मुस्लिम चूड़ीवाले की पिटाई के बाद सेंट्रल कोतवाली थाने पर एक वर्ग विशेष के प्रदर्शन को लेकर कलेक्टर मनीष सिंह का दावा सवालों के घेरे में आ गया है। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP ) विवेक जौहरी ने कलेक्टर मनीष सिंह के बयान के विपरीत इंदौर में सेंट्रल कोतवाली थाने पर हुए प्रदर्शन में किसी इस्लामी संगठन की संलिप्तता की आशंका से इंकार किया है।

पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने एक सवाल के जवाब में पिछले दिनों सेंट्रल कोतवाली थाने पर प्रदर्शन के दौरान सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की संलिप्तता की आशंका से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था से संबंधित समीक्षा बैठक में प्रदर्शन में इन संगठनों के शामिल होने की कोई आशंका जाहिर नहीं की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि गुरुवार की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बैठक में सिर्फ राष्ट्र विरोधी तत्वों का जिक्र किया है।

डीजीपी विवेक जौहरी से जब प्रदर्शन में पीएफआई और एसडीपीआई की संलिप्तता को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह उनसे (इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ) ही पूछिए-

गौरतलब है कि इंदौर में एक मुस्लिम चूड़ीवाले की पिटाई के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सेंट्रल कोतवाली थाने पर रात में जो प्रदर्शन हुए, इसमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के लोगों की संलिप्तता है। उनके नाम भी हमारे सामने आ चुके हैं। इस मामले में पुलिस से उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने को लेकर बात की गई है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक कलेक्टर ने यहाँ तक कहा था कि एसडीपीआई और पीएफआई पर इंटेलिजेंस के साथ ही पुलिस भी इन पर नजर रख रही है। इन संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा युवाओं को भड़काने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसे बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इनके खिलाफ ना केवल एफआईआर होगी, बल्कि जरूरत पड़ने पर जिलाबदर की भी कार्रवाई की जाएगी।

यह स्वभाविक ही है कि पुलिस या इंटेलीजेंस ने इस्लामी संगठनों की संलिप्तता का इनपुट दिया होगा तो वह इनपुट केवल इंदौर कलेक्टर तक सीमित नहीं होगा और उसकी जानकारी प्रदेश पुलिस के मुखिया को भी होगी लेकिन इनपुट को लेकर दोनों जिम्मेदार अधिकारियों के विरोधाभासी बयानों ने मामले को उलझा दिया है। पीएफआई और एसडीपीआई दोनों ही इस्लामिक संगठन है। ये संगठन खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला बताते हैं।

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