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3 KM दूर से पानी ला रही भांजियां, CM मामा की नहीं सुन रहे अफसर?

पूरे प्रदेश से जलसंकट की तस्वीरें आ रही सामने, हाईलेवल मीटिंग के ढाई महीने बाद भी हालात में सुधार नहीं।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश में जलसंकट को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश अमल में आते दिखाई नहीं दे रहे हैं। पूरे प्रदेश से जलसंकट की तस्वीरें सामने आ रही हैं। भीषण गर्मी के बीच पीने के पानी के लिए जनता की जद्दोजहद कई स्थानों पर विवादों का कारण तक बन रही है। यहाँ तक कि ‘शिव-राज’ में बालिकाएं और महिलाएं तपती धूप में 3 किलोमीटर दूर से सिर पर पानी लाने को मज़बूर हैं।

जल संकट की भयावहता का अंदाजा दैनिक भास्कर अख़बार में 6 जून को प्रकाशित इस तस्वीर से ही लगाया जा सकता है। तस्वीर खालवा ब्लॉक के घुटीघाट गांव के पास की है। ग्रामीण बालिकाएं और महिलाएं यहाँ 40 से 45 डिग्री तापमान में 3 किलोमीटर तक रेतीली और पथरीली जमीन पर चलकर पानी लाने को मज़बूर हैं। ‘शिव-राज’ में जलसंकट की यह तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल भी हो रही है।

बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 25 मार्च को सोमवार सुबह साढ़े छह बजे अपने गृहजिले के कमिश्नर-कलेक्टर समेत पीएचई विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ प्रदेश में व्याप्त जलसंकट की समीक्षा की थी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि गर्मी के मौसम में प्रदेश में पेयजल और खेतों में जलापूर्ति के पर्याप्त इंतज़ाम किया जाए। उन्होंने कहा था कि यदि कोई समस्या हो तो अधिकारी समय पर अवगत कराएं और संसाधन का पूरा उपयोेग कर समय पर घरों और खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था करें।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में अधिकारियों को दो टूक कहा था कि यदि प्रदेश की जनता पानी सहित अन्य मूलभूत जरूरतोें सेे परेशान होगी तोे वे अधिकारियोें को चैन से नहीं बैठने देंगे। उन्होंने कहा था कि मेरे मन में तकलीफ है कि प्रदेशवासियों को समय पर पानी नहीं मिल पा रहा है। फसलों में भी पानी की पर्याप्त उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हाईलेवल बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, पीएस पीएचई मलय श्रीवास्तव, एमडी जल निगम तेजस्वी नायक, कमिश्नर भोपाल गुलशन बामरा, ईएनसी पीएचई, सीहोर कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री शिवराज ने अधिकारियों को मोहलत देते हुए एक्शन प्लान के साथ दोबारा भी बुलाया था।

इस हाईलेवल बैठक के बाद भी प्रदेश में जलसंकट के हालत बरक़रार हैं। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृहक्षेत्र से भी जलसंकट की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि हाईलेवल मीटिंग के ढाई महीने बाद भी जलसंकट के हालात में सुधार क्यों नहीं हो पा रहा है? मुख्यमंत्री शिवराज के निर्देशों पर ढाई महीने में भी अमल क्यों नहीं हुआ है?

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