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ओंकारेश्वर क्षेत्र की बाढ़ शिवराज निर्मित आपदा, प्रशासन ने दबाव में नहीं खोले गेट

MP कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला का बड़ा आरोप, तीर्थ नगरी में नुकसान पर मुआवजे की मांग

भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के पवित्र तीर्थ ओंकारेश्वर और वहां से नीचे के इलाकों में आई बाढ़ के लिए प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री शिवराज के कार्यक्रम के कारण प्रशासन ने दबाव में ओंकारेश्वर बांध के गेट बंद रखे जिसके कारण तीर्थनगरी में बाढ़ के हालत बन गए।

प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने भोपाल में मीडिया से चर्चा में कहा कि भगवान जगतगुरु शंकराचार्य की मूर्ति के उद्घाटन का कार्यक्रम 18 सितंबर को प्रस्तावित था और इसके पहले 15 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज को ओंकारेश्वर जाना था। मुख्यमंत्री शिवराज को एक रपटे पर से होकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना था इसलिए प्रशासन ने ओंकारेश्वर बांध के फाटक बंद रखे ताकि रपटे के ऊपर से पानी न आ जाए।

रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि 15 सितंबर को मुख्यमंत्री ओंकारेश्वर पहुंचे, जबकि उससे पहले ही बांध में लगातार पानी बढ़ रहा था, जिसके चलते बांध के फाटक खोलने की बहुत आवश्यकता थी लेकिन प्रशासन पर अघोषित दबाव था कि बांध के फाटक ना खोले जाएं, इसलिए कई दिन की बरसात के बावजूद बांध में पानी बढ़ने दिया गया।

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सुरजेवाला ने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने 15 सितंबर का कार्यक्रम पूर्ण कर लिया, उसके बाद बांध के फाटक एकदम से खोल दिए गए और ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र तथा नदी के बहाव के निचले इलाकों में बहुत तेजी से बाढ़ का पानी घुसा।अपने आरोप के प्रमाण के रूप में कांग्रेस प्रभारी ने स्थानीय निवासियों और पत्रकारों द्वारा पूरे घटनाक्रम को व्यक्त करने वाले बयान भी जारी किये।

उन्होंने कहा कि यह भी जानकारी मिली है की बाढ़ प्रबंधन इत्यादि विषयों की जिम्मेदारी कलेक्टर और अन्य सक्षम अधिकारियों की होती है, लेकिन यह अधिकारी बाढ़ प्रबंधन और आपदा राहत की जगह मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारी में व्यस्त थे। जबकि इस दौरान ओंकारेश्वर के ऊपर के बांधों से लगातार पानी छोड़ा जा रहा था और उससे ओंकारेश्वर बांध भरता जा रहा था। इस तरह अचानक आई बाढ़ से तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर के बहुत से मकानों में पानी भर गया और कई मकान क्षतिग्रस्त हो गये।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि शिवराज सरकार को तत्काल इस कुशासन के लिए जनता से माफी मांगना चाहिए और मकानों को हुये नुकसान का संपूर्ण मुआवजा अविलंब पीड़ित परिवारों को देना चाहिए। इस तरह के कृत्य के लिए भगवान आदिगुरू शंकराचार्य भी शिवराजसिंह चौहान को माफ नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब शिवराज सिंह चौहान के कुशासन और भ्रष्टाचार के कारण मध्य प्रदेश की जनता को बाढ़ जैसी आपदा का सामना करना पड़ा है। पिछले साल धार जिले का कारम बांध इसी तरह से टूट गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कारम डैम के एक हिस्से के टूट जाने की मुख्य वजह ठेकों में हुआ भारी भ्रष्टाचार था। लेकिन शिवराज सरकार ने किसी दोषी को सजा नहीं दिलाई और जिस एजेंसी को कारम बांध टूटने में ठेकेदारी के लिए ब्लैक लिस्ट किया था वह भी ब्लैक लिस्ट से बाहर आ गई।

साथ ही उन्होंने कहा कि 2 साल पहले ग्वालियर चंबल इलाके में आई बाढ़ भी शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार का परिणाम थी। यह तथ्य जग जाहिर है कि उस समय चेकडेम के निर्माण और नहरों की मरम्मत और नहरों की सफाई के काम में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था और ग्वालियर चंबल की बाढ़ के लिए शिवराज सरकार का भ्रष्टाचार और कुशासन ही जिम्मेदार था।

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