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370 हटे ढाई साल बीते, कश्मीर घाटी में बाहरी लोगों ने नहीं खरीदा एक भी प्लॉट

राज्यसभा में गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी से खुलासा, बाहरी लोगों द्वारा 7 प्लॉट ही खरीदे गए और ये सभी जम्मू डिवीज़न में।

नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर घाटी में प्लॉट खरीदे जाने की सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा हुई थी लेकिन यह चर्चा केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित रही। धारा 370 हटाए जाने के करीब ढाई साल बाद भी कश्मीर घाटी में बाहरी लोगों ने अभी तक एक भी प्लाट नहीं खरीदा है। राज्यसभा में गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है।

राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब में बताया है कि जम्मू कश्मीर से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रशासित प्रदेश में बाहरी लोगों द्वारा अब तक कुल 7 प्लॉट ही खरीदे गए हैं। ये सभी 7 प्लॉट जम्मू डिवीज़न में ही खरीदे गए हैं ।

दरअसल राज्यसभा में सीपीएम सांसद झरना दास बैद्य ने पूछा था कि जम्मू-कश्मीर में ज़मीन की खरीद बिक्री की स्थिति क्या है? क्या राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति ने अब तक जम्मू-कश्मीर में ज़मीन खरीदी है? और यदि खरीदी है तो इसका ब्योरा क्या है?

धारा 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने जम्मू कश्मीर में निवेश के बड़े दावे किये थे और देश के अन्य राज्यों से लोग यहां आकर लोगों के कारोबार शुरू करने की उम्मीद जताई थी।

वहीं राज्य से पलायन और उसके बाद घर वापसी करने वालों लोगों की संख्या को लेकर दायर एक आरटीआई के जवाब में श्रीनगर जिला पुलिस मुख्यालय ने बताया है कि पिछले तीन दशक में आतंकियों ने 1,724 लोगों की हत्या की है, जिनमें से 89 कश्मीरी पंडित और बाकी अन्य धर्मों के लोग हैं।

RTI के जवाब में जो जानकारी दी गई उसके मुताबिक राज्य से 1,54,161 लोगों ने पलायन किया। इनमें 1,35,426 कश्मीरी पंडित हैं। यह संख्या पलायन करने वालों का 88 प्रतिशत है। हालांकि RTI में पलायन के बाद घर वापसी करने वाले कश्मीरी पंडितों और अन्य की संख्या की जानकारी नहीं दी गई है। यह जानकारी पानीपत के पीपी कपूर द्वारा दायर एक RTI के जवाब में सामने आई है।

गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। अनुच्छेद 370 के तहत ये प्रावधान था कि दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर जमीन नहीं खरीद सकते थे। सिर्फ वहां पैदा होने वाले लोगों को ही संपत्ति खरीदने की इजाज़त थी।

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