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CM के भाषण के बीच बिजली गुल, कांग्रेस बोली-अंधेर नगरी मामा राजा

प्रदेश में गहरा रहा बिजली संकट,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम में बिजली गुल हुई, कांग्रेस हमलावर।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश के गांवों में गहराते बिजली संकट के बीच अब शहरी क्षेत्र भी बिजली की अघोषित कटौती से परेशान होने लगे हैं। यहाँ तक कि राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी गुरुवार को अपने कार्यक्रम में बिजली गुल होने से अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस ने राज्य में बिजली संकट के लिए प्रदेश सरकार की अदूरदर्शिता को जिम्मेदार ठहराया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को सिविल सर्विस डे पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे। उन्हें भाषण देते हुए कुछ देर ही हुई थी कि अचानक बिजली गुल हो गई। बिजली गुल होने पर सीएम शिवराज ने मंच पर ही से पूछा संजय दुबे हैं क्या यहां? बता दें कि संजय दुबे उर्जा विभाग के प्रमुख सचिव हैं। शिवराज ने स्थिति को संभालने कहा कि कोयले का भी संकट है, कल सुबह ही संजय से बात हुई तो कह रहे थे रैक ज्यादा दिलवा दो। कार्यक्रम में करीब 5 मिनट तक लाइट गायब रही लेकिन सीएम शिवराज का भाषण खत्म होने से पहले लाइट आ गई।

इधर प्रदेश में बिजली संकट को लेकर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी ने एक बयान जारी कर कहा कि मध्यप्रदेश में बिजली का संकट गहरा गया है। गांवों में 10 घंटे तक बिजली नहीं आ रही है और शहरी क्षेत्र में भी बिजली कटौती जारी है। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 22,000 मेगावाट बिजली का एग्रीमेंट किया है, लेकिन जितनी खपत है, उतनी बिजली भी नहीं मिल रही। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार की अदूरदर्शिता से प्रदेश में अंधेर नगरी मामा राजा के हालात पैदा हो गए हैं।

जीतू पटवारी ने सीएम शिवराज के कार्यक्रम सरकार में बिजली गुल होने को लेकर भी कटाक्ष किया। जीतू पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में भी बिजली गुल हो रही है। बिजली संकट भयावह है, सरकार स्थिति को जल्द संभाले। जहां कमलनाथ सरकार में 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली मिलती थी और बिजली का किसी तरह का संकट नहीं था। वहीं शिवराज सिंह चौहान सरकार ने प्रदेश को अंधेरे में धकेल दिया है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने भी मुख्यमंत्री शिवराज के कार्यक्रमों में बिजली गुल होने को लेकर तंज़ कसा। उन्होंने ट्वीट किया-

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1517059173166772224?s=20&t=bENPpGm_bsaG9SylZh1b5Q

प्रदेश में बिजली संकट का कारण मांग और आपूर्ति में अंतर को बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश में बिजली की जरूरत 12 हजार मेगावाट की है जबकि अभी 10 हजार मेगावाट की आपूर्ति ही हो रही है। मांग और आपूर्ति में इस 2 हजार मेगावाट की कमी पूरी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती की जा रही है जबकि मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 22,000 मेगावाट बिजली का एग्रीमेंट किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक MP पावर जनरेटिंग कंपनी को थर्मल प्लांट्स चलाने के लिए रोजाना 12.5 रैक कोयला चाहिए लेकिन अभी 8.6 रैक कोयला ही मिल रहा है।

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