Blog

भारत जोड़ो यात्रा: ‘जन के मन’ की बात सुन रहे राहुल गांधी

भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी के संदर्भ में कवि, कथाकार और विचारक ध्रुव शुक्ल का विशेष आलेख

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को करीब से देखकर लगा कि देश के लोगों के मन में यह उम्मीद जाग रही है कि… कोई तो है जो हमारे मन की बात जानने निकला है। किसान, मजदूर, देश की नारियां और युवा पदयात्री राहुल गांधी के साथ मीलों पैदल चलते हुए उन्हें अपने- अपने मन की बात खुलकर बता रहे हैं।

उमरदराज़ लोग भी कदम मिलाने से पीछे नहीं हट रहे। राहुल गांधी लोगों के करीब आकर यह जानने की इच्छा और उत्साह से भरे हुए हैं कि आखिर भारत के लोगों के मन में क्या है और वे कैसा देश अपने लिए चाहते हैं।

राहुल गांधी से अपने सुख-दुख साझा करने वाले हजारों लोगों की बात सुनकर सहज ही अनुभव हो रहा है कि वे बीते कुछ वर्षों की उस राजनीति से ऊब गये हैं जो भेदभाव से भरकर केवल अपनी मनमानी कर रही है और उसके नेता लोगों की बात ही नहीं सुन रहे हैं।

ध्रुव शुक्ल

वे जनता से दूर सजाये गये महंगे मंचों से ख़ुद ही बोलते रहते हैं। देश के लोगों से दूर खड़े इन सजे-धजे और बनावटी नेताओं के पास लोगों के दुख जानने का समय ही नहीं बचा है। वे बोलते अधिक हैं और लोगों की बात सुनते कम हैं।

राहुल गांधी लोगों के साथ पैदल चलते हुए कम बोल रहे हैं और देश के लोगों की बात अधिक सुन रहे हैं। राहुल गांधी लोगों को फिर उस पगडण्डी पर वापस ला रहे हैं जिस पर साथ चलते हुए आपस में सवाल उठाकर उनके जवाब खोजे जाते हैं और जो असहमत है उसका भी सम्मान किया जाता है। जो लोग देश के दूर-दराज़ इलाकों में जीवन काट रहे हैं और इस देशव्यापी यात्रा से सीधे नहीं जुड़ पा रहे, वे भी मन ही मन राहुल गांधी के साथ इस उम्मीद से भरकर चल रहे होंगे कि देश में प्रेम की पगडण्डियों पर सबके साथ चलने और जीवन गुजारने के दिन अब ज़रूर लौटेंगे और नफ़रत की उड़ती धूल शान्त होगी।

भारत में अन्याय का सामना करने के लिए लोगों को साथ लेकर पदयात्रा करने की परंपरा रही है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की पदयात्रा ने सबके हिस्से का नमक उठाकर पूरे देश को नयी शक्ति से भर दिया था। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ उस पदयात्रा की परंपरा का ही एक आधुनिक उदाहरण है।

(लेखक- कवि, कथाकार और विचारक हैं)

Back to top button