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MP में रफ़्तार पकड़ता नर्मदा की रेत का मालगाड़ियों से परिवहन, उठे सवाल ?

नर्मदा से निकली रेत को मालगाड़ी द्वारा देश के अन्य हिस्सों में भेजा जा रहा है।

नरसिंहपुर (जोशहोश डेस्क) नर्मदा नदी से निकली रेत का डंपरों और ट्रैक्टर ट्रालियों द्वारा परिवहन तो आपने सुना होगा लेकिन अब नर्मदा से निकली रेत को मालगाड़ी द्वारा देश के अन्य हिस्सों में भेजे जाने का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। मालगाड़ी से रेत को देश के अन्य हिस्सों में भेजने वाली कंपनियां इसे विकास की नई पहल बता रही है वहीं दूसरी ओर इससे रेत के और अधिक उत्खनन की आशंका जताई जा रही है।

नर्मदा की रेत को पूरे देश में पहुंचाने के लिए अब मालगाड़ियों का सहारा लिया जा रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में गाडरवाडा से रेत का पूरा रैक रवाना हुआ है। नरसिंहपुर जिले से रेत का मालगाड़ी द्वारा परिवहन किये जाने का यह पहला मामला बताया जा रहा है। एक स्थानीय रेत कंपनी ने इस रैक में 58 वैगन में रेत भर दूसरे शहरों के लिए भेजी।

मालगाड़ी द्वारा इससे पहले इटारसी के पवारखेड़ा से सागर तक भी रेत का परिवहन हो चुका है। प्रदेश में पहली बार मालगाड़ी से रेत परिवहन का मामला साल 2017 में सामने आया था, जब छतरपुर के समीप हरपालपुर स्टेशन से उत्तर प्रदेश के कानपुर के लिए रेत का रैक रवाना किया था।

मालगाड़ी द्वारा रेत का परिवहन करने वाली कंपनियों के मुताबिक इस से स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को रोजगार का अधिक अवसर मिल रहा है। साथ ही जिन प्रदेशों तक नर्मदा की रेत नहीं पहुँच पाती थी वहां भी रेत पहुंचाना सुगम होगा। वहीं परिवहन लागत भी कम आती है और सड़क दुर्घटनाओं की आशंका नहीं रहती।

दूसरी ओर मालगाड़ी द्वारा नर्मदा रेत के परिवहन को लेकर चिंता भी जताई जा रही है। होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र से 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे देवेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि नर्मदा और उसकी सहायक नदियों को नहीं बचाया गया तो करोड़ों लोगों का जीवन तबाह हो जाएगा।

सोशल मीडिया पर भी उत्खनन की आशंका को लेकर चिंता जताई जा रही है-

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के तमाम दावों के बाद भी नर्मदा से अवैध रेत उत्खनन जारी है। रायसेन सीहोर होशंगाबाद नरसिंहपुर आदि जिलों में रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। रेत माफिया रेत उत्खनन के लिए पोकलेन समेत अन्य आधुनिक मशीनों से नर्मदा को खोखला कर रहे हैं। यहां तक कि जिन कंपनियों को रेत खदानों का ठेका मिला है वह भी नियमों की अनदेखी कर रही हैं।

रेत माफिया और खनिज विभाग के अधिकारियों केे बीच मिलीभगत भी कई बार उजागर हो चुकी है। प्रदेश में रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे कई बार निगरानी दल पर हमला तक कर चुुके हैं। रेत माफिया में गैंगवार तक की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। रेत उत्खन से नर्मदा का पर्यावर्णीय स्वरूप भी खतरे में हैं। पूरे निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा के दोनों ओर पाट लगातार चौड़े होते जा रहे हैं और पेडों की अवैध कटाई के चलते नर्मदा के प्रवाह पर भी असर पड़ रहा है।

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