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ब्लैक फंगस: बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज में 350 इंजेक्शन की ज़रुरत, 35 से कैसे पूरा होगा सरकार?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सागर के बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज (बीएमसी) में ब्लैक फंगस के 14 मरीज भर्ती हैं।

सागर (जोशहोश डेस्क) कोरोना के साथ ही अब प्रदेश में ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लगातार बढ़ रहे मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी के रूप में नोटिफाई तो कर दिया लेकिन इसके इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन प्रदेश में अब तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। सागर में ही जरूरत के हिसाब इन इंजेक्शन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सागर के बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज (बीएमसी) में ब्लैक फंगस के 14 मरीज भर्ती हैं। इस रोग के विशेषज्ञों के मुताबिक एक मरीज में इंफेक्शन का पता लगने के साथ ही 2 से 3 एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) इंजेक्शन तत्काल चाहिए होते हैं। इसके बाद हर 5 से 6 घंटे के अंतराल में न्यूनतम 5 से 7 इंजेक्शन चाहिए होते हैं। इस तरह एक मरीज के सम्पूर्ण इलाज में 40 से 70 इंजेक्शन तक की आवश्यकता होती हैं।

सागर में एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन मारामारी की ख़बरों के बाद कोविड प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव की सक्रियता और अपर मुख्य सचिव के हस्तक्षेप से बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को 35 एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। मंत्री गोपाल भार्गव ने इसे अपनी फेसबुक पर भी शेयर किया है।

सवाल यह है कि जब प्रत्येक मरीज को पांच से छह घंटे में इंजेक्शन चाहिए तो ये 35 इंजेक्शन कितने मरीजों की जरूरत पूरा कर पाएंगे? कितने मरीजों पर इनका उपयोग हो पायेगा? और ये 35 इंजेक्शन कितने मरीज़ों की बीमारी को नियंत्रित कर पाएंगे?

स्थानीय युवा बुद्धिजीवी सरल जैन ने भी इस मुददे को उठाया है। उनके मुताबिक हमारी सरकार रेमडेसिवर के संकट के समय स्टेट हेलीकॉप्टर से इंजेक्शन भिजवाने की जानकारी समस्त संचार माध्यमों के द्वारा जनता तक पहुंचा रही थी। ब्लैक फंगस के आने से पहले तक एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) इंजेक्शन मार्केट में उपलब्ध था मगर जैसे ही यह बीमारी आयी यह इंजेक्शन मार्केट से गायब हो गया। मरीजों के परिजन आपदा में अवसर का लाभ उठाने वालों से यह इंजेक्शन दोगुने दामों पर खरीदने को मजबूर हैं।

सरल जैन ने आगे लिखा कि विशेषज्ञ डॉक्टर्स के अनुसार ब्लैक फंगस महामारी की मृत्यु दर भी 55 फीसदी से अधिक है जबकि कोरोना की मृत्यु दर 1 से 2 फीसदी हैं। सरकार से गुजारिश हैं कि मरीजों को यह एन्टी इंफेक्शन पूर्ण पारदर्शिता के साथ जल्द से जल्द उपलब्ध कराए नहीं तो आग लगने पर कुआं खोदने की सरकार की आदत कई मरीजों के लिए जानलेवा बन जाएगी।

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