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कर्ज़ लेकर पी रहे घी, क्या शिवराज सरकार के लिए थी PM मोदी की नसीहत?

कर्ज में डूबा होने के बाद भी प्रदेश में घोषणाओं का दौर जारी, सरकार द्वारा प्रायोजित इवेंट्स पर करोड़ों रुपया खर्च

नई दिल्ली/ भोपाल (जोशहोश डेस्क) देश में कुछ राज्य सरकारें कर्ज लेकर घी पीने का काम कर रही हैं। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बात बेहद चर्चा में रही थी। अब ये कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की ये बात सिर्फ गैर भाजपाई ही नहीं बल्कि भाजपा शासित राज्य खासकर मध्यप्रदेश की सरकार पर भी चरितार्थ हो रही है।

मध्यप्रदेश सरकार लगातार कर्ज के बोझ में डूब रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फरवरी में अब तक ही सरकार ने औसतन करीब पांच सौ करोड़ का कर्ज रोज़ लिया है। राज्य सरकार ने बजट सत्र शुरू होने के अगले दिन 23 फरवरी को खुले बाजार से 3 हजार करोड़ का नया कर्ज लिया है।

इस तरह नए कर्ज को मिलाकर सरकार इस माह में तीन बार 3-3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। वहीं एक फरवरी को भी सरकार 2000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। यानी नए कर्ज को मिलाकर चार बार में बाजार से लिया जाने वाला कर्ज 11 हजार करोड़ रुपए हो चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2022-23 में 14 हजार करोड़ का सरकार ने कर्ज लिया था।

बीते वित्त वर्ष मध्यप्रदेश के ऊपर तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। यहाँ तक कि साल के अंत तक राज्य में चुनाव होने तक मध्यप्रदेश का प्रत्येक नागरिक 38,000 रुपये से अधिक के कर्ज में डूबा होगा। वित्त विभाग के अनुसार, 31 मार्च, 2022 तक मप्र का कुल ऋण 295532.9 करोड़ रुपये से अधिक था।

बड़ी बात यह है कि कर्ज में डूबा होने के बाद भी प्रदेश में घोषणाओं का दौर जारी है। रोजाना नई घोषणाएं हो रही हैं और सरकार द्वारा प्रायोजित इवेंट्स पर करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है। सरकार के इस रवैए को विशेषज्ञ चिंताजनक बता रहे हैं।

लगातार बढ़ते कर्ज़ को लेकर कांग्रेस के प्रदेश सरकार की नीतियों नीयत पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि सरकार कर्ज़ लेकर घी पीने का काम कर रही है और शिवराज सरकार के पास ऐसी कोई दीर्घकालीन योजना नहीं है जिससे प्रदेश का रेवेन्यू बढ़े और प्रदेश पर कर्ज़ का बोझ कम हो सके।

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