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भारत जोड़ो यात्रा: ‘जन-मन’ को जोड़ते, गढ़ी छवि को तोड़ते राहुल गांधी

राहुल गांधी पर कई तरह के सवाल उठाए गए लेकिन हर सवाल का जवाब यात्रा को मिल रहे जनसमर्थन ने खुद ब खुद दे दिया।

उज्जैन (जोश होश डेस्क) कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों मध्यप्रदेश में है। मंगलवार को यात्रा महाकाल की नगरी उज्जैन पहुँची। यहां राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ पहले बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया और फिर एक विशाल जनसभा को संबोधित किया।

कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को देश के दिल मध्यप्रदेश तक जबर्दस्त प्रतिसाद मिल रहा है। राहुल गांधी की यात्रा पर प्रारंभ से ही कई तरह के सवाल उठाए गए लेकिन हर सवाल का जवाब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को राज्य दर राज्य मिल रहे जनसमर्थन ने खुद ब खुद दे दिया।

भारत जोड़ो यात्रा जिस भी राज्य के जिस भी शहर, कस्बे या गांव से गुजरी लोग सहज रूप से यात्रा में खुद ही शामिल होते चले गए। हर धर्म, हर वर्ग और हर समुदाय के लोग यात्रा में राहुल गांधी से मिलने और उनकी एक झलक देखने को आतुर से दिखे। राहुल भी इस दौरान महिलाओं, किसानों, मजूदरों, छोटे व्यवसायियों और बेरोजगार युवाओं से संवाद स्थापित कर देश के जन-मन को यात्रा से जुड़ते दिखे।

दूसरी ओर इस यात्रा में राहुल गांधी भाजपा द्वारा गढ़ी गई उनकी छवि को तोड़ते भी नजर आ रहे हैं। देश के वास्तविक मुद्दों पर उन्होंने पीड़ितों-प्रभावितों से संवाद किया और बेबाकी से अपनी राय मीडिया के सामने रखी। करीब हर राज्य में राहुल गांधी ने दो से तीन बार मीडिया से चर्चा में हर सवाल का जवाब बेहद सधे और तार्किक अंदाज में दिया।

साथ ही यह राहुल यह जताते भी गए कि उनसे सवाल जवाब और संवाद तो किया भी जा सकता है लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मीडिया सवाल जवाब कर ही नहीं सकता। उन्होंने मीडिया के सामने ही मीडिया पर जिस तरह का शिकंजा है उसे निर्भीकता से बयान किया। साथ ही वे यह कहते गए कि अब वक्त है कि मीडिया देश के लिए देश के मुद्दों पर सत्ता से सवाल करने की हिम्मत करे।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पिछले आठ सालों से बीजेपी द्वारा राहुल गांधी को एक कमज़ोर और मज़ाकिया नेता के तौर पर पेश करने का प्रयास जारी है,लेकिन भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी ने उस छवि को तोड़ने में काफी हद तक सफलता पाई है। यात्रा के दौरान दिए जा रहे भाषणों और पत्रकारों के सवालों के जवाब देकर राहुल गांधी ये साबित कर चुके हैं कि वे एक गंभीर नेता हैं।

राहुल गांधी ने खुद भी यह स्वीकारा है कि “मुझे ग़लत छवि के लिए भाजपा में हज़ारों करोड़ रुपए और बहुत अधिक ऊर्जा ख़र्च की है लेकिन मेरा सच अलग है। जो लोग ध्यान से देखने की फ़िक्र करते हैं वो समझ पाएंगे कि मेरा सत्य क्या है और मैं किन मूल्यों के लिए खड़ा हूं।

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