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व्यथा कथा: क्या अब जवाब देने लगा है उमा भारती का धैर्य?

उमा भारती ने शेयर की लंबी पोस्ट, अपनी सरकारों से व्यथित नजर आईं, PM मोदी-भाजपा के प्रति दोहराया समर्पण

भोपाल (जोशहोश डेस्क) फायरब्रांड नेता उमा भारती ने एक बार फिर शराबबंदी अभियान को लेकर नई तारीख का ऐलान कर दिया है। उमा भारती ने कहा है कि अब वे गांधी जयंती यानी दो अक्टूबर से शराबबंदी को लेकर भोपाल की सड़कों पर मोर्चा खोलेंगी। पहले भी उमा भोपाल की सड़कों पर उतरने का ऐलान कर चुकी हैं। इस ऐलान के साथ ही उमा भारती ने सोशल मीडिया पर अपनी राजनीतिक जीवन को लेकर लंबी पोस्ट भी शेयर की है।

पोस्ट में उमा भारती ने अपने जीवन के अहम पड़ावों की जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के प्रति अपने समर्पण को तो दोहराया, साथ ही शराबबंदी के मुद्दे पर अपनी सरकारों से वे व्यथित भी नजर आईं। उन्होंने इस बार जिस अंदाज में अपनी बात कही है उसे लेकर सियासी गलियारों में यह कहा जा रहा है कि भाजपा में अपनी उपेक्षा के बाद अब उमा भारती का धैर्य जवाब देने लगा है।

अपनी पोस्ट में उन्होंने दो टूक कहा कि हरियाणा में व्यभिचार एवं दो महिलाओं की मृत्यु के लिए आरोपित (गोपाल कांडा) के समर्थन से सरकार बनाने के फैसले का विरोध किये जाने के कारण मुझे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से मुक्त किया गया। साथ ही उमा भारती ने कहा कि मैने गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा की अविरलता को बचाने के लिए केन्द्र में मंत्री रहते हुए अपनी ही सरकार की नीति के विपरीत सुप्रीम कोर्ट में शपथ-पत्र दिया। इसीलिए मेरा विभाग बदला गया।

उमा भारती की इस बेबाकी का कारण अब भाजपा में उनका उपेक्षित होना भी बताया जा रहा है। उमा भारती राम मंदिर आंदोलन का बड़ा भगवा चेहरा थीं लेकिन इसके बाद भी राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रचार से दूर रखा। यही नहीं मध्यप्रदेश की सियासत में भी अब पार्टी ने उमाभारती से दूर ही नजर आ रही है। कहा जा रहा है कि उमा शराब बंदी जैसे घर-घर से जुड़े मुद्दे से अपनी प्रदेश में अपनी खोई जमीन फिर हासिल करना चाहती हैं।

उमा भारती ने अक्टूबर में शराबबंदी को लेकर अभियान की आगाज करने की बात कुछ इस तरह कही-

उमा भारती ने लिखा कि मध्यप्रदेश में नशामुक्ति (जिसमें शराब बंदी भी शामिल है) अभियान भाजपा का ही वायदा है एवं मैं उसी का अनुसरण कर रही हूँ। मैं भाजपा की एक समर्थ एवं निष्ठावान कार्यकर्ता हूँ इसीलिए मैंने अधिकतर पंचायत एवं निगम चुनाव हो जाने दिए। इस बीच मैं मौन रही आज मैं सबसे अपील करती हूँ कि कोई दुविधा में न रहे सब अपनी-अपनी जगह पर रहकर ही इस के लिए अपनी सामर्थ्य अनुसार ही काम करें। मैं एक बहुत बड़ी कठिनाई का समाधान कर रही हूँ कि आज से अक्टूबर तक मैं इस अभियान में उनको अपने साथ आने के लिए कहूंगी। जो किसी पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी या अन्य किसी पद पर नहीं हैं। फिर अक्टूबर में गांधी जयंती पर भोपाल की सड़कों पर मैं महिलाओं के साथ इस राक्षस जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ मार्च करूंगी। बाकी की बातें आगे शेयर करती रहूंगी।

वहीं उमा भारती ने अपने राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव का भी बेबाकी से जिक्र किया। उन्होंने लिखा-

मेरे अभी तक के राजनैतिक जीवन में सात अति महत्वपूर्ण केन्द्र बिन्दु रहे हैंः- 6 साल की उम्र से 21 साल की उम्र तक भारत और विश्व के महत्वपूर्ण 60 देशों में हिंदू संस्कृति का प्रचार एवं प्रसार, फिर भाजपा में लोक सभा चुनाव में 6 बार तथा विधानसभा में दो बार की उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की जीत। इस दरम्यान 11 साल केन्द्रीय मंत्री, मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, युवा मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही। घुसपैठ के खिलाफ असम (नोर्थ ईस्ट), तिरंगा अभियान, कर्नाटक (साउथ) लगभग पार्टी के सभी प्रमुख अभियानों में प्रमुख भागीदारी रही लेकिन इस दरम्यान केन्द्र बिन्दु रहा अयोध्या आन्दोलन जिसमें जीवन ही दांव पर लगा दिया। फिर जीवन में आईं गंगा जो आज तक मौजूद हैं एवं रहेंगी। गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा जी की अविरलता को बचाने के लिए केन्द्र में मंत्री रहते हुए अपनी ही सरकार की नीति के विपरीत सुप्रीम कोर्ट में शपथ-पत्र दिया। इसीलिए मेरा विभाग बदला गया किन्तु विभाग बदलने के बाद में भी नितिन गडकरी जी ने गंगा एवं ने रिवर इंटर लिंकिंग खासकर केन-बेतवा से जोड़े रखा। मैं तो गंगा के समस्त कार्य योजना का 2016 में ही शुभारम्भ करने के बाद मंत्री पद छोड़कर गंगा के किनारे की पैदल यात्रा करके पूरे विश्व को गंगा की जिम्मेवारी की ओर ध्यान दिलाना चाहती थी। मुझे पार्टी एवं प्रधानमंत्री जी से इसकी सहमति जब नहीं मिली तब मैंने ही पांच साल के लिए अपने आप को चुनावी राजनीति से अलग करके गंगोत्री से गंगा सागर तक की यात्रा का निश्चय किया। जिसे मेरी पार्टी ने मेरी निजि यात्रा माना तथा अनंत कठिनाइयों को पार करके मैंने दिनांक 14 जनवरी, 2022 को गंगा सागर पहुंच गई। इसी यात्रा के दरम्यान अक्टूबर 2019 को हरियाणा में विधानसभा चुनाव पूरे होने पर एक ऐसा व्यक्ति जो व्यभिचार एवं दो महिलाओं की मृत्यु के लिए आरोपित रहा…उसका समर्थन लेकर सरकार बनाने का फैसला जब मैंने गंगा किनारे सुना। तो मेरे द्वारा किए गये उसके खुले विरोध का पूरे भारत में एवं भारत से बाहर सभी भारत वासियों ने भारी समर्थन किया। मीडिया ने भी समर्थन किया। पार्टी ने निर्णय को बदला एक दूसरे विकल्प से सरकार बनाई। इसलिए मुझे फिर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से मुक्त किया गया, लेकिन मैं ख़ुश एवं संतुष्ट थी। कोरोना काल में ही शराबबंदी पर मैंने योगी आदित्यनाथ और शिवराज सिंह चौहान जी से चर्चा शुरू की जिसके आज तक के घटनाक्रम से आप सब गवाह हो। मुझे यकीन था और आज भी है कि हमारी सरकार एवं हमारी पार्टी की यही नीति रहेगी कि लोग कम से कम शराब पिएं। मध्यप्रदेश में तो मेरे बड़े भाई शिवराज जी एक सात्विक व्यक्ति हैं जब नई शराब नीति की घोषणा हुई। इससे मेरा भरोसा एवं सम्मान तो कम नहीं हुआ किन्तु मुझे गहरा आघात लगा। लगातार गंगा यात्रा की समाप्ति से लेकर अभी तक इन 4 महीनों में हमारी पार्टी एवं हमारी विचारधारा का परिवार इसमें सभी श्रेष्ठ एवं वरिष्ठ जनों से बात कर चुकी हूँ एवं कई बार बेकफुट पर जा चुकी हूँ। मैं चाहती हूं कि हमारी सरकार इस नीति में संषोधन करे एवं जो कानून विरूद्ध, नियम विरूद्ध, जन विरूद्ध, महिला विरूद्ध इसके अंश हैं उन्हें अलग करके नई शराबनीति प्रस्तुत करें। जैसे हमारी मध्यप्रदेश की सरकार के कई निर्णय देश के कई राज्यों ने अपनाए एवं लागू किए इसी तरह से मध्यप्रदेश ही एक जन हितैषी शराब नीति का मॉडल बने से लेकर अभी तक जन संघ से लेकर भाजपा तक हमारे सपनों की मोदी जी साकार मूर्ति हैं। जनता को मोदी जी के द्वारा किए गये वायदे के अनुसार ही हमसब भाजपाईयों को भारत को बनाना है। क्योंकि नरेंद्र मोदी जी ही मेरे नेता हैं भाजपा ही मेरी पार्टी है और मैं भाजपा का ही चुनाव प्रचार करूंगी।

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