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मेदांता में आग: ‘लूट खसोट का अड्डा बने अस्पताल, न सुरक्षा प्रबंध न मॉनिटरिंग’

इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल के आईसीयू में लगी आग के बाद कांग्रेस ने फ़ायर सेफ़्टी सिस्टम की कोई मानिटरिंग पर उठाये सवाल।

इंदौर/ भोपाल (जोशहोश डेस्क) इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल के आईसीयू में रविवार शाम आग लगने से बड़ा हादसा तो टल गया लेकिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर किए गए दावों की फिर पोल खुल गई। मेदांता में आग से यह साबित हो गया कि राजधानी के कमला नेहरू अस्पताल में दो महीने पहले लगी आग में मासूमों की मौत के बाद भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।

प्रारंभिक जांच में अस्पताल में बिजली के ओवरलोड के चलते आईसीयू में हुए शार्ट सर्किट को आग का कारण बताया जा रहा है। अच्छा यह रहा कि आईसीयू में भर्ती 10 मरीज आग से सुरक्षित रहे इनमें से तीन तो वेंटिलेटर पर थे। कलेक्टर मनीष सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने मेदांता में लगी आग को लेकर सरकार के मॉनिटरिंग सिस्टम पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट किया कि भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल की घटना और हुई 17 नवजात की मौत से भी शिवराज सरकार ने सबक़ नही लिया। अब इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल के आईसीयू में लगी आग से बड़ी जनहानि होने से बची। प्रदेश के अस्पतालों में फ़ायर सेफ़्टी सिस्टम की कोई मानिटरिंग नही,आग से बचाव के भी कोई सुरक्षा प्रबंध नही।

https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1482966105421656067?s=20

गौरतलब है कि कमला नेहरू अस्पताल में हादसे के बाद अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर लापरवाहियां सामने आईं थीं। कमला नेहरू अस्पताल की ही जिस बिल्डिंग में आग लगी थी, उसने भी करीब 15 साल से NOC नहीं ली थी। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। हादसे के बाद सामने आई एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि मध्यप्रदेश में 700 से ज्यादा अस्पताल और नर्सिंग होम बिना फायर ऑडिट के चल रहे हैं, जिनमें सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं है। इनमें भोपाल के भी 70 से ज्यादा नर्सिंग होम और हॉस्पिटल भी शामिल थे।

इस हादसे के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह ने निर्देश दिए थे कि प्रदेश के हर अस्पताल को 30 नवंबर तक फायर ऑडिट कराना होगा। अगर कोई अस्पताल ऐसा नहीं कराता है, तो उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो जाएगा लेकिन 30 नवम्बर तक कितने अस्पतालों ने फायर ऑडिट कराया और ऐसा न कराये जाने पर कितने अस्पतालों पर कार्रवाई हुई यह सामने नहीं आ सका है।

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