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किसने सोचा था ‘महाकाल लोक’ से इतनी जल्दी मलबा उठाना पड़ेगा?
उज्जैन उतना अजीब नहीं है, जितने यहां के जागरूक लोग जो खामखां तूफ़ान उठाए फिरते हैं! मुए मीडिया यानी खबरिया…
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लोकतंत्र के नये गृहप्रवेश पर अपनेपन के नायक नेहरू की याद
जब नये संसद भवन के रूप में लोकतंत्र के गृहप्रवेश के मुहूर्त को सत्ता हस्तांतरण की तरह प्रचारित किया जा…
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क्या देश के प्रधानमंत्री का अपमान है नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार ?
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना क्या देश के प्रधानमंत्री का अपमान है? क्या सचमुच विपक्षी दलों…
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कमलनाथ सबसे योग्य नेता, कमीशन नाथ कहने वाले उनके सामने बच्चे
बदजुबानी पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्य्ता छीनने वाले देश में बदजुबानी थमने का नाम ही नहीं…
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मोदी सरकार के तुगलकी फरमान से उठा सवाल, नोटबंदी कहें या नट-बंदी?
आखिर वही हुआ जो होना था। होनी और अनहोनी को कोई टाल नहीं सकता। केंद्र सरकार ने झक मारकर दो…
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संयमहीन, उपहासयोग्य, छद्मवेशधारियों के देश में…तुलसी और गांधी बाबा
मुझे बचपन से ही ऐसा संस्कार मिला कि अब तक अपने लिए केवल दो बाबाओं को ही चुन पाया हूॅं…
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कुतर्कों-गालियों से भरता जा रहा देश का आकाश, बीच बहस में आज़ादी
देश की आज़ादी के पचहत्तरवें साल में भी हमें यह संदेह क्यों होता रहता है कि आज़ादी मिली भी है…
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बदलते सियासी झंडे-जस की तस झंझटें, आखिर कौन है भारत-भाग्य विधाता?
आज़ादी के बाद यह सुनते-सुनते कान पक गये कि — जनता ही देश की मालिक है। वह चुनाव पद्धति से…
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MP भाजपा के अंत:पुर में असंतोष, शिवराज-VD के लिए गंभीर चुनौती
बिना जनादेश के बीते तीन साल से सत्तारूढ़ भाजपा के दीवाने खास मे असंतोष से भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भले…
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क्या हम एक बीमार समाज में परिवर्तित रहे हैं?
अचंभे की बात यह नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित हुए एक…
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