शिवराज जी, क्या कटनी के उपद्रवियों पर भी होगा खरगोन जैसा एक्शन?
खरगोन की घटना पर बोले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कठोर दंड के साथ नुकसान की भी होगी वसूली
भोपाल (जोशहोश डेस्क) खरगोन में रामनवमी के मौके पर हुए उपद्रव के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दंगाइयों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा है कि सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर को न सिर्फ दंडित किया जाएगा बल्कि उनसे नुकसान की वसूली भी होगी। ऐसे में सवाल यह है कि क्या कटनी में रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर भी खरगोन की तरह की कार्रवाई की जाएगी?
खरगोन में रविवार को रामनवमी के मौके पर पथराव हिंसा और आगजनी की घटनाएं सामने आई थीं। शहर के कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू के बाद दंगाइयों को देखते ही गोली मरने के आदेश तक जारी करने पड़े थे। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खरगोन में पथराव करने वालों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि कार्रवाई का मतलब केवल जेल भेजना नहीं है जिन्होंने पत्थर चलाए हैं सार्वजनिक या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है, उनसे नुकसान की वसूली भी की जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार ने लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली विधेयक पारित किया है। खरगोन के दंगाइयों को दण्डित तो किया ही जाएगा साथ ही नुकसान की वसूली भी उनसे की जाएगी। राज्य सरकार इस हेतु क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन कर रही है।
सीएम शिवराज के इस ऐलान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि सार्वजनिक या निजी संपति को नुकसान पर जेल भेजने के साथ नुकसान की वसूली सिर्फ खरगोन तक सीमित रहेगी या कटनी में रेलवे की दीवार को तोड़ने वाले उपद्रवियों पर भी यही कार्रवाई की जाएगी? यहां एक मंदिर के सामने बनाई गई रेलवे की दीवार को धार्मिक नारों के बीच उन्मादी भीड़ ने तोड़ दिया गया था। मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था।
गौरतलब है कि देश के साथ ही अब प्रदेश में भी धार्मिक उन्माद लगातार बढ़ता जा रहा है। अचानक बढ़ रहे इस उन्माद को सियासत से भी जोड़ा जा रहा है। रामनवमी के मौके पर ही प्रदेश में खरगोन और सेंधवा में अराजकता की खबरें सामने आईं हैं। दोनों ही मामलों में सरकार का खुफिया तंत्र फेल दिख रहा है। शान्ति का टापू कहलाने वाले मध्यप्रदेश में बढ़ते धार्मिक उन्माद को सख्ती और बिना किसी पक्षपात के रोके जाने की जरूरत है।