मेरा अंग-अंग बेच कर बिजली का कर्ज चुका देना : किसान का सुसाइड नोट
छतरपुर (जोशहोश डेस्क) देश में किसानों की दयनीय स्थिति से आज कोई भी अनछुआ नहीं है। दुःख की बात है कि कर्ज से देश के अन्नदाताओं को जान देनी पड़ रही है। बिजली बिल भी अब किसान को ख़ुदकुशी करने पर मजबूर कर रहा है। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में किसान ने बिजली विभाग की प्रताड़ना से तंग आकर किसान ने खुदखुशी कर ली जिसका सुसाइड नोट वायरल हो रहा है। सुसाइड नोट में किसान अपने अंगों को बेचकर बिजली विभाग के कर्ज को चुकाने की बात कह रहा है।
यह है पूरा मामला
छतरपुर जिले के छोटे से गांव मातगुवां में रहने वाले मुनेंद्र राजपूत पर किसान पर बिजली विभाग का 88 हजार रुपये का कर्ज था। कर्ज वसूलने के लिए बिजली विभाग के कर्मचारी उसे लगातार प्रताड़ित कर रहे थे। प्रताड़ना से परेशान किसान ने घातक कदम उठा लिया है। उसका शव पेड़ से लटका मिला है। कपड़े से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें किसान ने खुदकुशी की वजह का जिक्र किया है।
सुसाइड नोट में किसान ने तमाम परेशानियों का जिक्र किया है। उसने लिखा है- “बकाया बिजली बिल के लिए विभाग के कर्मचारी लगातार परेशान कर रहे हैं। यहां तक कि मेरी बाइक भी उठा ले गए। मेरे मरने के बाद मेरा शरीर सरकार को सौंप दिया जाए और मेरे शरीर का एक-एक अंग बेचकर बिजली विभाग का बकाया कर्ज चुका दिया जाएगा।”
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किसान के बच्चे बहुत छोटे है
किसान ने सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि मेरी तीन बेटियां और एक बेटा है, मेरे कोई भी बच्चे 16 साल से अधिक के नहीं हैं। बता दें, किसान का परिवार बहुत ही गरीब है। खुदख़ुशी के बाद किसान के परिवार सदमे में हैं। वहीं मामले में पुलिस का कहना हैं कि किसान की आत्महत्या की हर पहलू पर जांच की जा रही है।
दोषियों को दंडित कर किसान परिवार को 10 लाख मुआवजे की मांग
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने किसान द्वारा आत्महत्या कर लेने को मध्यप्रदेश के माथे पर कलंक बताया जिसने अपने सुसाइड नोट में यह लिखा है कि उसका शव सरकार को सौंप दिया जाए ताकि वह उसके अंग बेचकर बिजली का बिल चुका दे। बिजली बिल वसूली की यह क्रूरतम घटना है।गुप्ता ने कहा की बिजली वसूली और बड़े हुए 10 गुने बिल मध्य प्रदेश की कितनी बड़ी समस्या है यह घटना उसका प्रमाण है। बताते हैं कि मृतक की मोटरसाईकिल बिजली विभाग ने पहले ही जप्त कर ली थी। मृतक की एक भैस करंट से मर गई और तीन भैंसें चोरी हो गईं थीं।
एक तरफ स्वयं मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि बढ़ें हुए बिजली के बिल जमा मत करना। दूसरी तरफ बिजली विभाग गरीबों की कुर्कियां कर रहा है, उनके घर के सामान उठा रहा है ।यह विरोधाभास ही सैकड़ों जानों का दुश्मन बना हुआ है।
इसी तरह की एक घटना टीकमगढ़ में रिपोर्ट हुई है जिसमें 92 हजार के बिजली बिल चुका न पाने के कारण किसान ने आत्महत्या की है। सरकार को चाहिए कि तत्काल दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों को दंडित करे तथा मृतक किसान के परिवारों को दस-दस लाख मुआवजा दे।