भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन, विरासत की नींव पर भविष्य का संकल्प
यात्रा को देखकर कहा जा रहा है कि राहुल गांधी विरासत की नींव पर भविष्य के भारत को आकार देने के संकल्प की राह पर बढ़ रहे हैं
दौसा (जोश होश डेस्क) राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का आज 100 वां दिन है। यात्रा सुबह राजस्थान के दौसा में मीणा हाईकोर्ट से प्रारंभ हुई। कन्याकुमारी से श्रीनगर तक यह यात्रा जिस तरह आगे बढ़ रही है उसे देखकर यही कहा जा रहा है कि राहुल गांधी विरासत की नींव पर भविष्य के भारत को आकार देने के संकल्प की राह पर हैं।
शुक्रवार सुबह यात्रा छह बजे प्रांरभ हुई। करीब सात डिग्री की कंपाने वाली ठंड में भी यात्रा को अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला। सर्दी के बीच भी राहुल गांधी एक हाफ टी शर्ट में ही नजर आए। वहीं यात्रा में लगातार जिस तरह का वैचारिक मंथन हो रहा है वह न सिर्फ देश बल्कि कांग्रेस के लिए भी व्यापक संकेत दे रहा है।
कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अब कांग्रेस की विरासत की नींव पर भविष्य के भारत को आकार देने की दिशा में चल पड़े हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह साफ संदेश दिया कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को जो करना था वो कर चुके अब हमें यह बताना है कि हम देश के लिए क्या करेंगे-
देश और कांग्रेस के लिए इस बयान के बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। राहुल गांधी का यह बयान वर्तमान दौर की राजनीति में बेहद निर्भीकता से दिया गया बयान माना जा रहा है। अब तक यह कहा जाता था कि कांग्रेस केवल अपनी विरासत के नाम पर ही जनता के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है लेकिन अब राहुल ने विरासत की नींव पर भविष्य के लिए अपना योगदान देने की बात कह कर आलोचकों को करारा और साहसिक जवाब दिया है।
दूसरी ओर भारत की आर्थिक और सामाजिक हालातों पर भी राहुल गांधी इस यात्रा में वैचारिक मंथन कर अपना दष्टिकोण स्पष्ट कर रह हैं। रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर के साथ राहुल गांधी का संवाद महंगाई ,बेरोजगारी, कृषि और उद्योग धंधो को लेकर एक विजन प्रदान कर रहा था। साथ ही अब जिस तरह विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवी, युवा, किसान, कामगार और कारोबारी खुलकर यात्रा में शामिल हो रहे हैं उससे देश में संवाद की खत्म होती परंपरा को नई सांसे मिलती दिखाई दे रही हैं।
कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी की यह यात्रा जब कश्मीर में में अपने अंतिम पड़ाव पहुंचेगी, तब तक इस यात्रा में चल रहे वैचारिक मंथन से एक ऐसा ब्लूप्रिंट तैयार हो जाएगा, जो नफरत की राजनीति को परास्त कर विरासत की नींव पर भविष्य के भारत को आकार देने का आधार साबित होगा।