क्यों बंद हो रही है 50 साल पुरानी पन्ना की हीरा खदान?
पन्ना जिले के मझगवां स्थित एनएमडीसी NMDC (National Mineral Development Corporation) हीरा खनन परियोजना में हीरों का उत्पादन नए वर्ष 2021 के पहले दिन से बंद हो गया।
पन्ना (जोशहोश डेस्क) पन्ना की 50 साल पुरानी मझगवां हीरा खदान अब बंद हो रही है लेकिन इलाके के सांसद और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री इसे बंद नहीं होने देना चाहते। खदान समाप्त होने का कारण यह है कि एनएमडीसी NMDC (National Mineral Development Corporation) को इस खदान को आगे चलाने की मंजूरी नहीं मिली है अब प्रश्न यह है कि किस तरह से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और स्थानीय सांसद यह मंजूरी दिला पाते हैं, उल्लेखनीय है कि यह खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के बिल्कुल बगल में होने के कारण बंद की जा रही है खदान के बंद होने का कारण पर्यावरण और विलुप्त होते शेर की रक्षा है।
बेशकीमती हीरों के लिए विख्यात राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (National Mineral Development Corporation) की एकमात्र हीरा खदान में साल की शुरुआत से काम बंद हो गया। पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) के क्षेत्र में होने से NMDC को अभी तक वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस नहीं मिला है, जिसकी वजह से खदान में काम रोक देना पड़ा, यानि टाइगर के इलाके में NMDC फिलहाल कोई काम नहीं कर सकती।
31 दिसंबर 2020 को स्वीकृत अवधि समाप्त होने के कारण हीरे की खदान बंद करनी पड़ी। जिसे लेकर पन्ना शहर के लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा भी है क्योंकि यह पूर्व से ही ज्ञात था कि साल 2020 के आखिरी दिन स्वीकृत अवधि समाप्त हो जाएगी फिर भी सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए और उत्खनन बंद करना पड़ा। यह खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य अंतर्गत वन भूमि रकबा 74.018 हेक्टेयर में संचालित है, इसके संचालन की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2020 को समाप्त हो गई है।
सरकार की प्रतिक्रिया
हीरा खनन परियोजना को आगे संचालित रखने के लिए आवश्यक स्वीकृति प्राप्त करने परियोजना प्रबंधन ने कई माह पूर्व ही आवेदन पत्र राज्य वन्य प्राणी बोर्ड तथा वन व पर्यावरण मंत्रालय में प्रस्तुत किए थे। लेकिन ये निर्णय के इंतजार में ये आज भी लंबित पड़े हैं। लेकिन राष्ट्रीय खनिज विकास निगम की पन्ना स्थित हीरे की खान से खनन बंद नहीं होगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पर संज्ञान लिया है इस खदान से कई लोगों को रोजगार मिलता है। इसे बंद करने से लोगों पर आजीविका का संकट आएगा। इसीलिए खदान बंद नहीं होगीं।
खदान बंद होने से अरबों के हीरे दबे रह जाएगें
जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड एनएमडीसी खदान में वर्ष 1968 से लेकर अब तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस खदान में अभी भी 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन होना शेष है। ऐसी स्थिति में आगे खदान संचालन की अनुमति यदि नहीं मिलती तो अरबों रुपए कीमत के हीरे जमीन के भीतर ही दफन रह जाएंगे।
खदान बंद करने से रुक जाता पन्ना का विकास
मुख्यमंत्री ने यह बात खजुराहो-पन्ना सांसद विष्णु दत्त शर्मा (VD Sharma) व खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह (Brijendra Pratap Singh) से अपने आवास पर चर्चा के दौरान कही। दोनों ही जनप्रतिनिधियों ने हीरा खनन परियोजना के बंद होने के दुष्परिणामों व इससे जुड़ी जिले के लोगों से चिंताओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए उनसे मिले थे। इस चर्चा के दौरान सीएम शिवराज ने माना कि हीरा खदान में उत्खनन पुनः शुरू होने से पन्ना जिले के लोगों को रोजगार उपलब्ध होने के साथ-साथ जिले का विकास होगा।
600 से ज्यादा मजदूर बेरोज़गार
पन्ना की हीरा खनन परियोजना की NMDC (National Mineral Development Corporation) इकाई बंद हो जाने से उसमें काम में लगे सैकड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इस संबध में मध्यप्रदेश राष्टीय हीरा खनन मजदूर संघ के महामंत्री समर बहादुर सिंह ने बताया कि इस हीरा खनन परियोजना में विभिन्न प्रकार से कार्यरत लगभग 600 से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। जिसमें मजदूर वर्ग से लेकर डीएव्ही पब्लिक स्कूल के कर्मचारी जो कि इस परियोजना द्वारा संचालित है। इसके अलावा सीआइएसएफ के जवान, सिक्योरिटी गार्ड के साथ-साथ अधिकारियों के घरों में काम करने वाले मजदूर वर्ग व मझगवां तथा पन्ना में स्थित दुकानदार भी प्रभावित होंगे।
एशिया में हीरे की इकलौती खदान के बंद होने से लोग काफी चिंतित हो गए थे, यदि उत्खनन बंद होता तो लोगों के सामने आजीविका का संकट तो पैदा होता ही साथ ही शहरी विकास की गति भी रुक जाती। परियोजना प्रबंधन द्वारा करोडों रूपए का व्यय जिले के विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिए किया जाता है। यदि कंपनी बंद होती है तो यह भी पन्ना जिले के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहेगा।
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