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माता-पिता की ‘कोरोना से मौत’ कैसे साबित करे इकलौता बेटा? मृत्यु प्रमाण पत्र से हजारों आश्रित त्रस्त

मृतकों के आश्रितों के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं बच रहा जिससे वे अपने परिजन की मौत को कोरोना संक्रमण से हुई मौत साबित कर सकें।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) कोरोना का दंश कई परिवारों को तबाह कर चुका है। अब सरकारी मदद की उम्मीद लगाए बैठे ऐसे परिवारों के लिए नगर निगम का मृत्यु प्रमाण पत्र मुसीबत का सबब साबित हो रहा है। क्योंकि नगर निगम कोरोना से मौत पर भी सामान्य प्रमाण पत्र जारी कर रहा है। ऐसे में मृतकों के आश्रितों के लिए यह साबित कर पाना मुश्किल है कि उनके परिजन की मौत कोरोना से हुई है। इस परिस्थिति में प्रदेश सरकार की घोषणाओं का फायदा मृतकों के आश्रित को कैसे मिल पाएगा यह बड़ा सवाल है?

बड़ी बात यह है कि नगर निगम द्वारा अस्पताल और विश्राम घाट के उन प्रमाणपत्रों की मूल प्रति भी जमा करा ली जा रही है जिन पर मौत का कारण स्पष्ट रूप से कोरोना लिखा गया है। ऐसे में अब मृतकों के आश्रितों के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं बच रहा जिससे वे अपने परिजन की मौत को कोरोना संक्रमण से हुई मौत साबित कर सकें।

सिवनी निवासी डेहरिया परिवार के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। कोरोना ने इस हंसते खेलते परिवार को उजाड़कर रख दिया। एलआईसी एजेंट गिरीश कुमार डेहरिया और उनकी असिस्टेंट प्रोफेसर पत्नी पत्नी दिव्या डेहरिया कोरोना पाॅजिटिव पाए गए थे। दोनों की एक दिन के अंतराल पर मौत हो गई।

गिरीश डेहरिया इलाज के लिए भोपाल में रह रहे अपने भाई प्रदीप के पास आ गए थे। यहाँ त्रिलंगा काॅलोनी में स्थित न्यू एरा हाॅस्पिटल में उन्होंने दम तोड़ दिया था। वहीं एक दिन बाद ही उनकी पत्नी दिव्या ने बैतूल के अस्पताल में अंतिम सांस ली। परिवार में अब उनका 16 वर्षीय इकलौता बेटा ही बचा है।

गिरीश डेहरिया के भाई प्रदीप डेहरिया ने जोशहोश मीडिया को बताया कि अस्पताल ने गिरीश डेहरिया का जो प्रमाणपत्र जारी किया, उस पर मौत का कारण कोरोना बताया गया है। भदभदा विश्राम घाट पर 84 शवों के बीच उनका अंतिम संस्कार भी कोरोना प्रोटोकाल के तहत ही किया गया। विश्राम घाट से मिले प्रमाण पत्र पर भी कोरोना का उल्लेख है लेकिन नगर निगम भोपाल से जो मत्यु प्रमाण पत्र मिला वह सामान्य है। उस पर कोरोना से मौत का कोई जिक्र नहीं है।

नगर निगम द्वारा जारी सर्टिफिकेट
भदभदा विश्राम घाट से मिला सर्टिफिकेट
अस्पताल से जारी डेथ सर्टिफिकेट

गिरीश की पत्नी दिव्या डेहरिया के निधन के बाद तो अब तक अस्पताल ने मत्यु प्रमाण पत्र ही जारी नहीं किया है। प्रदीप डेहरिया ने बताया कि बैतूल के सीएमओ यह कह रहे हैं कि दिव्या डेहरिया को कोरोना था यह आप खुद ही साबित करो। दिव्या के परिजन बैतूल अस्पताल के कई चक्कर भी काट चुके हैं लेकिन कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा।

प्रदीप डेहरिया का कहना है कि अब डेहरिया दंपति के इकलौते बचे बेटे को शासकीय योजनाओं का लाभ लेना है तो उस मासूम के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं जो वह अपने माता पिता की मौत को कोरोना से मौत साबित कर सके। ऐसे में उस तक शासकीय मदद पहुंच पाए ये बहुत मुश्किल है।

उनका यह भी कहना है कि बीमा पाॅलिसी समेत मेरे भतीजे के लिए शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए भाई और भाभी की मौत को कोरोना से होना बता पाना मुश्किल दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि नगर निगम को डेथ सर्टिफिकेट के मामले में अपनी परंपरागत शैली से अलग हटकर काम करना चाहिए। नगर निगम अगर अपने मृत्यु प्रमाण पत्र पर कोरोना से मौत का उल्लेख कर दे तो मृतकों के आश्रितों की परेशानियां कम हो सकती हैं।

पूरे प्रदेश में इस समस्या का सामना कोरोना का दंश झेल चुके हजारों परिवार कर रहे हैं। अपनों को खो चुके हजारों परिजन अब अपनों की मौत के लिए कोरोना को जिम्मेदार साबित नहीं कर पा रहे हैं। हाॅस्पिटल भी डुप्लीकेट डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं करते हैं। ऐसे में मूल दस्तावेज नगर-निगम में जमा होने जाने के बाद परिजनों के सामने इधर से उधर भटकने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता।

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