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मिड डे मील में ‘नमक-रोटी’ से चर्चित पत्रकार पवन गंभीर, मदद की दरकार

कैंसर से जूझ पवन जायसवाल के पास अब इलाज के लिए पैसे तक नहीं, आप सांसद संजय सिंह और कुछ अन्य पत्रकार मदद के लिए आए आगे।

लखनऊ (जोशहोश डेस्क) उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में मिड डे मील के नाम पर स्कूली बच्चों को नमक रोटी खिलाए जाने की खबर ब्रेक कर चर्चित हुए पत्रकार पवन जायसवाल की हालत गंभीर है। कैंसर से लड़ रहे पवन जायसवाल के पास अब इलाज के लिए पैसे तक नहीं है। आप सांसद संजय सिंह के अलावा कुछ अन्य पत्रकार पवन जायसवाल की आर्थिक मदद के लिए आगे आये हैं लेकिन पवन की हालत को देखते हुए ये मदद नाकाफी दिख रही है।

जन-सरोकारों के पत्रकार पवन जायसवाल ने आप सांसद संजय सिंह से मदद की गुहार करते हुए बताया कि वे बीते एक महीने से दोबारा बनारस में एडमिट हैं। उनका दोबारा ऑपरेशन हुआ है जिसमें डेढ़ लाख रुपए खर्च हो चुके हैं और चार लाख रुपए पहले ही खर्च हो चुके हैं। पवन जायसवाल ने लिखा है कि अब उनके पास रोजाना की दवाइयां तक खरीदने को पैसे नहीं हैं।

पवन जायसवाल के मैसेज के बाद आप सांसद संजय सिंह ने एक लाख रुपए की तात्कालिक सहायता उपलब्ध कराई है और आगे भी मदद का भरोसा दिलाया है। संजय सिंह के अलावा पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने भी पवन की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है।

पत्रकार ब्रजेश मिश्रा ने ट्विटर पर लिखा- आप शायद भूल गए हों। ये पत्रकार पवन जायसवाल जी है। वही पवन जिन्होंने नमक रोटी की खबर दुनिया को दिखाई थी। पवन को कैंसर हो गया था। जिंदगी मुश्किल में है। इलाज के लिए पैसे नहीं है। दो मासूम बच्चे है। परिवार मोहताज है। आगे बढिए। ऐसे सच्चे लोगों की मदद करिए। मैने भी की है। आप भी कीजिए-

कैंसर के इलाज के लिए पवन जायसवाल को पत्नी और मां के आभूषण तक बेचना पड़े हैं। पवन को बीते साल कैंसर की पुष्टि हुई थी। बताया जाता है कि एक दांत के उपचार में चिकित्सीय लापरवाही के बाद पवन की हालत धीरे-धीरे बिगड़ती चली गई थी। इसके बाद कई तरह की जांच के बाद कैंसर का पता चला था।

गौरतलब है कि पत्रकार पवन जायसवाल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के एक प्राइमरी स्कूल में मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी दिए जाने की खबर ब्रेक करने के बाद सुर्ख़ियों में आ गए थे। खबर के बाद पवन जायसवाल पर ही मामला दर्ज किया गया था। जिसके खिलाफ देश भर में पत्रकारों ने प्रदर्शन किया था। प्रेस काउंसलिंग ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने इस मामले को स्वत: सज्ञान में लिया था। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दखल के बाद मिर्जापुर पुलिस ने केस से पत्रकार का नाम हटा दिया था। पवन जायसवाल के खिलाफ दर्ज मामला वापस लिए जाने पर उत्तरप्रदेश सरकार और अधिकारियों के कामकाज पर भी सवाल उठे थे।

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