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18 मुख्यमंत्रियों के 18 किस्से : पहले CM ने अमावस्या की रात ली थी शपथ

शपथ ले रहे शुक्ल पहले तो थोड़ा असहज हुए, फिर बोले- पर इस अंधेरे को मिटाने के लिए हजारों दिए जल रहे हैं।


भोपाल (जोशहोश डेस्क)
 मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल (Ravishankar Shukla) ने अमावस्या की रात को शपथ ली थी। तब उन्होंने कहा था कि – इस अंधेरे को मिटाने के लिए हजारों दिए जल रहे हैं। जोशहोश मीडिया की सीरीज ’18 मुख्यमंत्रियों के 18 किस्से’ में आप जान सकेंगे, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों की अनसुनी कहानियां। आज पढ़िए मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल (Ravishankar Shukla) के किस्से।

अमावस्या की रात पहले CM ने ली शपथ 

1 नवंबर 1956 को जिस समय मध्यप्रदेश का जन्म हुआ, वह अमावस्या की रात थी। राज्यपाल डॉ. भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया, जब आधी रात को पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल (Ravi Shankar Shukla) को लालकोठी कहे जाने वाले, आज के राजभवन में शपथ दिला रहे थे तभी किसी ने याद दिलाया कि ‘आज तो अमावस्या की रात है’। शपथ ले रहे शुक्ल पहले तो थोड़ा असहज हुए, फिर बोले- पर इस अंधेरे को मिटाने के लिए हजारों दिए जल रहे हैं। वह शपथ वाली रात दीपावली की भी रात थी। अमावस्या की रात का कुछ असर था या नहीं, कौन जाने। इसे विधि का विधान ही कहा जाएगा कि उस दिन के ठीक दो महीने बाद 31 दिसम्बर 1956 को रविशंकर शुक्ल (Ravi Shankar Shukla) चल बसे, वह दीपावली उनकी आखिरी दीपावली बन गई।  

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मप्र की पहली कैबिनेट बैठक… 

एक नवंबर को शपथ वाले दिन ही 80 साल के शुक्ल, उसी शाम को पुराने मध्यप्रदेश की राजधानी नागपुर से भोपाल, जी.टी. एक्सप्रेस के प्रथम श्रेणी के कूपे में बैठकर पहुंचे थे। उनका जगह-जगह पर स्वागत हुआ, इटारसी रेलवे स्टेशम पर शुक्ल का ऐतिहासिक अभिनंदन किया गया। जब वे भोपाल पहुंचे तो उन्हें जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।  नागपुर राजधानी में रविशंकर शुक्ल (Ravi Shankar Shukla) सन् 1946 से मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में रहे थे। यह प्रदेश जिसमें विदर्भ के कई जिले शामिल थे, आजादी के पहले सेन्ट्रल प्रॉविन्स और बरार के नाम से जाना जाता था। 1 नवंबर 1956 को ही शुक्ल के शपथ लेने से पहले राज्यपाल सीतारमैया को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिदायतउल्ला ने शपथ दिलाई। इसके पहले सीतारमैया, रविशंकर शुक्ल के साथ नागपुर में भी राज्यपाल थे। पहले मंत्रिमंडल में बारह कैबिनेट और ग्यारह उपयंत्री थे। सन् 1956 में नया मध्यप्रदेश बनाया गया तो रविशंकर शुकल, जो कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उन्हें मुख्यमंत्री मानने में किसी को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि मध्यप्रदेश, चारों राज्यों (मध्यप्रदेश, विंध्यप्रदेश, भोपाल और मध्यभारत ) में सबसे बड़ा था और शुक्ल भी सभी मुख्यमंत्रियों से उम्र में ज्येष्ठ थे। उस समय विंध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शंभूनाथ शुक्ल थे, भोपाल के डॉ.शंकरदयाल शर्मा और मध्यभारत के तखतमल जैन। पुनर्गठन के दौरान इन सब मुख्यमंत्रियों की बैठक जबलपुर में हो चुकी थी। जब राज्य बन गया तब अक्टूबर में चारों राज्यों के सभी कांग्रेसी विधायकों की संयुक्त बैठक नागपुर के विधानसभा भवन में की गई। बैठक में सर्वसम्मति से रविशंकर शुक्ल को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया। मुख्यमंत्री की शपथ लेने के लिए यह प्रक्रिया आवश्यक होती है। 

छत्तीसगढ़ यूनिवर्सिटी में रविशंकर शुक्ल

[साभार- राजनीतिनामा मध्यप्रदेश]

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